अपने गानों के लिए आज भी याद किए जाते है जगजीत सिंह
अपने गानों के लिए आज भी याद किए जाते है जगजीत सिंह
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होंटो से छू लो तुम मैरा गीत अमर कर दो।।इस गजल गीत को सुनकर आपको एक ऐसे व्यक्ति की याद आएगी जो अपनी आवाज के जादू से सबके दिलो में एक याद छोड़ चुके है। हम बात कर रहे है गजल गायक जगजीत सिंह की। गजल गायिकी में जगजीत सिंह का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने अपनी आवाज का जादू न केवल देश में बिखेरा था बल्कि विदेशों में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं रही है। वे गजल गायिकी से चार दशक तक श्रोताओं के दिलों पर अमिट छाप छोड़ते रहे। जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था।

बचपन में उन्हें जगमोहन नाम से पुकारा जाता था लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने जगजीत सिंह नाम रख लिया, जो गजल गायन में उल्लेखनीय बन गया। उनकी रूचि बचपन से ही संगीत में थी। संगीत की शिक्षा उन्होंने उस्ताद जमाल खान और पंडित छगनलाल शर्मा से प्राप्त की। 1965 के दौरान उन्होंने मुंबई की धरती पर कदम रखा था, लेकिन प्रारंभिक दौर में उन्हें विशेष सफलता नहीं मिली क्योकि उन्हें विज्ञापन फिल्मों में जिंगल गाने का मौका मिला। जिंगल गाने के दौर में ही उनकी मुलाकात चित्रा दत्ता से हुई, बाद में उन्होंने चित्रा से विवाह कर लिया था।

इसके बाद से तो दोनों ने अपना जादू बिखेरना शुरू किया, जिसका सिलसिला उनके ता उम्र तक बना रहा। जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की गायी गजलें कानों में रस घोलती है। उन्होंने फिल्मों के गीत और भजनों को भी आवाज दी। वर्ष 2003 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था। 10 अक्टूबर 2011 को उनका निधन हो गया। 8 फरवरी को उनके जन्म दिन पर श्रद्धासुमन अर्पित है।

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