जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूं मैं? -हरिशंकर परसाई
जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूं मैं? -हरिशंकर परसाई
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जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूं मैं?...
 

किसी के निर्देश पर चलना नहीं स्वीकार मुझको
नहीं है पद चिह्न का आधार भी दरकार मुझको
ले निराला मार्ग उस पर सींच जल कांटे उगाता
और उनको रौंदता हर कदम मैं आगे बढ़ाता

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