यहां भगवान जगन्नाथ की रक्षा करते हैं पवनसुत
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जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होने वाली है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से यह यात्रा शुरू होती है। इस साल 14 जुलाई से यात्रा शुरू होने वाली है। ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ की रक्षा खुद पवनसुत हनुमान करते हैं। चारों दिशाओं से हनुमान जी भगवान जगन्नाथ की रक्षा करते हैं। इसलिए यहां पर हर दिशा में हनुमान जी का एक मंदिर है। 

मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के मंदिर को समुद्र ने तीन बार  नुकसान पहुंचाने की चेष्ठा की, तो भगवान क्रोधित हो गए और उन्होंने हनुमान जी से चारो दिशाओं से मंदिर की रक्षा करने को कहा। तब से हनुमान जी यहां पर चारों दिशाओं में विराजमान हैं और तब से ही समुद्र मंदिर को छू भी नहीं पाता। उड़ीसा में चाहे जितनी बाढ़ आ जाए जगन्नाथ मंदिर का कुछ भी नहीं बिगड़ता है। जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश के लिए चारों दिशाओं में दरवाजे बने हुए हैं, जहां से भक्त मंदिर में प्रवेश करते हैं।  हर दिशा में भगवान हनुमान का मंदिर है और कहा जाता है कि दरवाजे पर वह प्रहरी के रूप में विराजमान है और प्रभु की रक्षा कर रहे हैं। 

यहां पर बेड़ी से बंधे हनुमान जी का भी मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी को जब भगवान ने मंदिर की रक्षा का जिम्मा सौंपा,  तो हनुमान जी ने उसे ले लिया, लेकिन वे भगवान के दर्शन करे ​बिना नहीं रह सकते थे। ऐसे में वह कई बार नगर में दर्शनों हेतु चले गए, तब समुद्र भी उनके पीछे—पीछे नगर में प्रवेश कर गया। इससे भगवना रुष्ट हो गए  और उन्होंने बेड़ियों से हनुमान जी को जकड़ दिया। यह बेड़ी हनुमान मंदिर समुद्र तट पर स्थित है। इसी तरह अन्य तीनों दिशाओं में भी हनुमान जी के मंदिर हैं। 

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