जबलपुर: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील मनोज शर्मा ने बताया कि अब केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, कैट में पैरवी करने आने वाले जबलपुर समेत प्रदेश के सभी अधिवक्ता एक नया अनुभव हासिल करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि पूरे 35 वर्ष एक दिन के पश्चात् कैट को स्वयं का भवन प्राप्त हो गया है। जबलपुर के कटंगा में नवनिर्मित भवन का शनिवार को कैट के चेयरमैन एल नरसिम्हा रेड्डी ने बीते दिनों आनलाइन उद्घाटन किया। वे तिरूपति के मार्ग में थे, जहां से कार से ही यह शगुन पूरा किया।
वही इस के चलते दिल्ली समेत अन्य बेंच के कैट के न्यायिक अफसर प्रोग्राम से आनलाइन जुड़े। कैट के स्थानीय सदस्य रमेश सिंह ठाकुर, प्रशासनिक सदस्य नलिनी जयशीलन, कैट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील मनोज शर्मा व वरिष्ठ वकील एसपी सिंह समेत अन्य इन गरिमामय पलों के साक्षी बने। उल्लेखनीय है कि कैट का शुभारंभ 35 वर्ष पहले हुआ था। 1985 में एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल एक्ट अस्तित्व में आया था। जिसके तहत कैट का गठन किया गया। साथ-साथ 207 केंद्रीय संस्थाओं के कर्मियों और अफसरों को कैट में अपने मामले लगाने स्वतंत्र किया गया। 25 जून, 1986 को जबलपुर में पहली बार कैट की बेंच महाधिवक्ता दफ्तर के एक कमरे से आरम्भ हुई। कालांतर में वह कैरब्ज जबलपुर के किराए के भवन में ट्रांसफर हो गई। काफी प्रतीक्षा के पश्चात् कैट को खुद का भवन नसीब हुआ। नया भवन सर्वसुविधायुक्त है।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका के माध्यम से घमापुर-रांझी सड़क का काम तीन वर्ष में भी पूरा होने के रवैये को चुनौती दी गई है। जनहित याचिका में बताया गया है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बन रही सड़क का चौड़ीकरण भी नहीं किया गया। याचिका पर सुनवाई अगले हफ्ते होने की संभावना है।
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