यमराज के दरबार में जब खेली गयी होली, तब हुआ ऐसा
यमराज के दरबार में जब खेली गयी होली, तब हुआ ऐसा
Share:

यमराज ने इस बार डिसाइड किया कि जिस प्रकार धरती पर भारत नामक देश में होली खेली जाती है, गुलाल उड़ते हैं, भांग की तरंग में लोग झूमते हैं, इसकेसाथ ही हास्य कवि दरबार लगते हैं और मूर्ख व महामूर्ख प्रतियोगिताएं होती हैं, उसी प्रकार होली पर एक आयोजन उनके दरबार में भी हो।इसके अलावा यमराज ने जैसे ही दरबारियों को अपने फैसले से अवगत करवाया जाता है , यमराज के भैंसे की तरह सब ने सहमति में सिर हिला दिए। वहीं अब सवाल यह उठता है कि इस आयोजन की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए? कौन सारी व्यवस्था संभाल सकता है? रंग किस क्वालिटी का हो...पिचकारियां किस कलर की हों...किस धातु की होनी चाहिए, प्लास्टिक की, लोहे की या फिर बांस की? रंग यमराज के दरबार में तैयार किया जाए या फिर भारत की किसी दुकान में दूत भेजकर मंगवाया जाए, भांग कौन घोटेगा? इसके साथ ही सारी बातों पर मंथन शुरू हुआ। वहीं किसी दरबारी ने सलाह दी कि यमराज के दरबार में आज तक तो कभी होली खेली नहीं गई। इसके अलावा लिहाजा दरबारियों को होली की प्रथाओं और खेलने के ढंग की तनिक भी जानकारी नहीं है, इसलिए बेहतर होगा कि भारत के किसी लीडर की इस बारे राय ले ली जाए। जो सलाह देने और रंग में भंग डालने के अलावा हुड़दंग के विशेषज्ञ कहलवाते हैं।

यमराज को अपने दरबारी की यह सलाह जंच गई। उन्होंने अपने दूतों को आदेश दिया कि चार-पांच भारतीय नेताओं को तुरंत उनके दरबार में पेश किया जाए। दूत बड़े अदब से सिर हिलाकर, भैंसे पर सवार हो नेताओं को लाने के लिए निकल पड़े। आधा घंटा गुजरा, पूरा घंटा गुजरा, दो घंटे गुजर गए। यमराज की बेचैनी बढऩे लगी।वहीं  वह बारी-बारी से प्रवेश द्वार की ओर और अपनी घड़ी की सुइयों की ओर देखते। इसके साथ ही उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि दूत अभी तक किसी लीडर को लेकर उपस्थित क्यों नहीं हुए! क्या भारत में सभी लीडर राजनीति से संन्यास लेकर एकांतवास में चले गए हैं या फिर उन्होंने यमराज के दूतों को धरती पर कार-कोठी का लालच देकर अपना गुलाम बना लिया है? वहीं कहीं लीडरों ने उनके दूतों को जेल में तो नहीं डाल दिया? यमराज को नैगेटिव किस्म के विचार आने लगे। उनकी बेचैनी बढऩे लगी। उनके माथे पर पसीना टपकने लगा और आदेश दिया कि दरबार की जो खिड़कियां बंद हैं, उनके कपाट खोल दिए जाएं ताकि हवा के थपेड़े दरबार के आर-पार हो सकें। इसके साथ ही इसी बीच दूत भी पांच भारतीय लीडरों को लेकर यमराज के सामने प्रकट हो गए। वहीं पांचों ने यमराज का अभिवादन किया और फिर दोनों हाथ जोड़कर 60 डिग्री की मुद्रा में झुकते हुए कहा, ''आदेश कीजिए महाराज, किसके खिलाफ क्या षड्यंत्र रचना है? किस-किस के बीच सांप्रदायिकता का जहर फैलाना है? कौन-कौन से वर्ग आपस में लड़ाने हैं?''

यमराज ने उनकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और दूतों पर सवाल दागते हुए कहा, ''इन लीडरों को लाने में इतनी देरी क्यों हुई? इसके साथ ही इंतजार की बेचैनी में मेरा जो रक्तचाप बढ़ा, उसका जिम्मेदार कौन है?'' दूत हाथ जोड़ते हुए बोले ''महाराज, ये लीडर एक साथ भैंसे पर चढऩे को तैयार नहीं थे। इनमें से एक कह रहा था कि दक्षिण पंथी और वामपंथी एक साथ नहीं बैठ सकते है। दूसरा कह रहा था कि उसे बाकी के चार लीडरों पर भरोसा नहीं है, लिहाजा वह इनके साथ नहीं जाएगा। तीसरे का कहना था कि उसे सिर्फ हवाई यात्रा करने के लिए उसके हाईकमान ने अधिकृत कर रखा है, इसलिए वह बिना हैलीकाप्टर के नहीं जाएगा। इसके साथ ही चौथे का कहना था कि वह अकेला ही पांच लीडरों के बराबर है, बाकी चार को साथ क्यों ले जाया जा रहा है। पांचवें का कहना था कि इन चारों को ले जाओ, मुझे तो तुम लोग धरती पर ही रहने दो, मैंने बड़ी मुश्किल से सत्ता हासिल की है। महाराज, हम बड़ी मुश्किल से इन पांचों को यहां लेकर आए हैं। इन्होंने तो भैंसे को भी पटाने की कोशिश की थी और एक-दो बार तो भैंसा जी भी इनकी बातों में आ ही गए थे, इसलिए इन्हें आपके दरबार में पहुंचाने में देरी हुई।'' इसके अलावा अपने दूतों की बात सुनकर यमराज जी ने कहा, ''आप भविष्य में कभी भी सामाजिक प्रतिष्ठा अर्जित नहीं कर पाएंगे।वहीं  भारत की धरती पर पैदा होने वाले सभी व्यंग्यकार, सभी कवि, सभी कामेडियन अपनी रचनाओं में हमेशा आप पर तंज कसा कर सकते है । अखबारों में आपके कार्टून छपा करेंगे, लोग गलियों, चौराहों में आपके फैसलों पर उंगली उठाया करेंगे। आपको हर पांच साल बाद जनता के बीच जाकर वोटों के लिए नाक रगडऩी पड़ेगी। आपका सत्ता सिंहासन हमेशा हिलता रहेगा...।''

यमराज के इस श्राप को सुनकर पांचों लीडरों के पैरों तले जमीन सरक गई। वे यमराज के चरणों में गिरते हुए बोले, ''महाराज, इस बार बख्श दीजिए। हम भविष्य में आपको शिकायत का मौका नहीं देंगे। अपने स्वार्थ के लिए हम अपने हाईकमानों को नीचा दिखाकर इक्ट्ठे हो जाएंगे। भैंसा तो क्या, खच्चर पर चढ़कर भी आप तक पहुंच जाएंगे। बस एक बार धरती पर वापस भिजवा दीजिए।वहीं  नीचे धरती पर चुनावों का मौसम चल रहा है। वहीं हमें अपने बेटों, बहुओं और पत्नियों को चुनाव जितवाना है।'' यमराज लीडरों की बात सुनकर पसीज गए। बोले, ''अब श्राप वापस तो नहीं लिया जा सकता क्योंकि इससे दरबारियों को मैसेज जा सकता है कि भारत से आए नेताओं ने यमराज से भी डील कर ली है। परन्तु आपको दरबार में होली तो खेलनी पड़ सकती है , भांग भी घोटनी पड़ेगी और गुलाल भी उड़ाने पड़ेंगे। फिर हम आपके लिए प्रार्थना करेंगे कि धरती पर आपकी वंशवाद की बेल फलती-फूलती रहे। वहीं चुनावों में अलग-अलग पार्टियों के टिकट आपके खानदानों में ही वितरित हों, किसी आम वर्कर को कदापि टिकट न मिले।''

हो रही है आर्थिक समस्या तो अपनाये यह टोटका, होगी धनवर्षा

हस्तरेखा ज्योतिष: हाथ में इस जगह का तिल बताता है आपका भविष्य

आध्यात्मिक उपायों से बढ़ेगी प्रतिरोध क्षमता

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -