यह तोड़ने का दौर है, सब कुछ तोड़ा जाना चाहिए
यह तोड़ने का दौर है, सब कुछ तोड़ा जाना चाहिए
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त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति तोड़ दी गयी
केरल में गांधी और
चेन्नई में आंबेडकर की मूर्तियों के साथ भी बदसलूकी हुई

मेरी एक विचित्र ख्वाहिश है 
की तोड़ने का यह क्रम तबतक चलना चाहिए 
जब तक हम तोड़ने न लग जाएँ 
अपना चूल्हा और सब्सिडी का सिलेंडर
देश का हर शहर, गांव, गली, घर 
तोड़ दिया जाना चाहिए
और इस राष्ट्रीय मलबे से 
चुने जाएँ मेहराब और कंगूरे जिनसे बनाना है 
रामलला का भव्य मन्दिर 
ईंटें तराशी जा रही हैं 1992 से

ऐसे दौर में 
जब हर अखबार का पहला पन्ना 
बिक चुका है
सारे चैनलों के प्राइम टाइम 
खरीदे जा चुके हैं
हमारी हंसी, आंसू,आस्था और सपने समेत हर मानवीय भावना को 
भाजपा और कांग्रेस में बांटा जा रहा है 
ऐसे तोड़फोड़ के दौर में
मैं तोड़ना चाहता हूँ
न्याय की देवी की मूर्ति का तराजू 
और उसके दोनों पलड़ों को 
उसके कानों में झुमकों की तरह पहनाना चाहता हूं
ताकि उसका डावाडोल सन्तुलन 
कम से कम देखने मे ही सुंदर तो लगे 
और उस देवी की पट्टी उतारकर
उसकी आँखों में देखते हुए 
अरब सागर पर बनने वाली 
शिवाजी राजा छत्रपति की महान मूर्ति से लटककर विदर्भ के किसान की मौत मरना चाहता हूँ मैं

लेकिन मरने से पहले 
यह भी सुनिश्चित करूँगा 
कि सबसे आखिर तक साबित रहें 
गांधी के तीनों बन्दरों की मूर्तियां 
जो कुछ नही देखते 
कुछ नही सुनते 
कुछ नही कहते

-रचित दीक्षित 

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