लंदन : देश के बाद अब विदेशों में भी मोदी सरकार घिरती दिख रही है। आगस्ता हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा वांछित ब्रिटेन के एक हथियार एजेंट क्रिश्चियन माइकल ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने इस घोटाले के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके परिवार के खिलाफ सबूत देने के बदले में इटली सरकार को उसके दोनों मरीन को आजाद करने का प्रस्ताव दिया था।
माइकल का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली के अपने समकक्ष माटियो रेंजी को पिछले साल सितंबर में न्यूयॉर्क में हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के दौरान छोटी सी मुलाकात हुई थी। उसी दौरान पीएम ने ये प्रस्ताव रखा था। पत्र में लिखा गया है कि न्यूयॉर्क में दोनों पीएम के बीच हुई मुलाकात में मरीन मामले पर चर्चा हुई थी।
माइकल ने इस बात की सूचना 23 दिसंबर 2015 को अपने वकील के माध्यम से लिखे पत्र में बर्ग स्थित समुद्र कानून के अंतर्राष्ट्रीय ट्राइब्यूनल और हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय में दिया। इसी अदालत में भारत औरइटली दोनों देशों की सरकारें इतालवी मरीनों के मामले में एक दूसरे के खिलाफ मुकदमा लड़ रही है।
इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप का कहना है कि यह बेहद हास्यास्पद है। स्वरुप ने इस पर टिप्पणी करना तक जरुरी नहीं समझा। हांला कि उन्होने दोनों देशों के पीएम के बीच हुई छोटी सी मुलाकात से इंकार नहीं किया। स्वरुप ने कहा कि न्यूयॉर्क में कई देशों के राष्ट्रध्यक्ष मौजूद थे, ऐसे में जाहिर है सभी एख-दूसरे से मिलेंगे औऱ बातचीत करेंगे।
15 फरवरी 2012 को इटली के जहाज एनरिका लेक्सी पर तैनात दो मरीनों मासिमिलानो लाटोरे और सल्वातोर गिरोने ने दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। दोनों पर केरल में मुकदमा चल रहा, हालांकि इटली मामले को भारतीय न्यायक्षेत्र से बाहर मानते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाए जाने की लड़ाई लड़ रहा है।