बेहद अशुभ है नवरात्रि की जौ का ऐसा रंग होना, यहाँ जानिए
बेहद अशुभ है नवरात्रि की जौ का ऐसा रंग होना, यहाँ जानिए
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22 मार्च 2023 से चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व आरम्भ हो रहा है एवं 30 मार्च को इनका समापन होगा। नवरात्रि के साथ ही 22 मार्च से हिंदू नववर्ष नव संवत्सर 2080 भी आरम्भ होगा। नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है। प्रत्येक  वर्ष नवरात्रि पर माता रानी का आगमन विशेष वाहन पर होता है, जिसकी विशेष अहमियत होती है।

वही नवरात्रि में घटस्थापना के वक़्त जौ बोने की परंपरा होती है। कई स्थानों पर इसे ज्वार भी कहा जाता है। इसे मिट्टी के पत्रा में बोया जाता है। ज्यादातर लोगों को यह मालूम नहीं होता कि आखिर नवरात्रि में जौ क्यों बोते हैं तथा जौ के अलग-अलग रंगों का मतलब क्या होता है। जौ घनी न होना या इसका ठीक से न उगना अच्छा संकेत नहीं है। यदि जौ का रंग काला है और ये टेढ़ी-मेढ़ी है तो इसे अशुभ समझा जाता है।

वहीं, यदि जौ का रंग सफेद है तथा ये बिल्कुल सीधी उगे तो ये जीवन में तरक्की एवं खुशहाली का संकेत देती है। यदि जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला है तो ये वर्ष की अच्छी शुरुआत, मगर अंत खराब होने का संकेत देती है। जिन घरों मे ऐसी जौ उगती है, उन्हें वर्ष के आरम्भ में लाभ होता है। किन्तु वर्ष गुजरने के साथ-साथ उनकी मुसीबतें बढ़ती रहती हैं। चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।

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