क्या संजय जैसा व्यवहार दूसरे कैदियों के लिए भी है- हाई कोर्ट
क्या संजय जैसा व्यवहार दूसरे कैदियों के लिए भी है- हाई कोर्ट
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बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त सुर्खियों में है. गौरतलब है कि, संजय दत्त 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले में जेल में बंद थे. जिसके चलते महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में मुंबई उच्च न्यायालय में दावा किया कि अभिनेता संजय दत्त को दी गई पैरोल या फरलो के हर एक मिनट को वह जायज ठहरा सकती है.

महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भाकोनी ने अपने बयान में कहा कि, ‘‘एक मिनट या सेकेंड के लिए भी दत्त का जेल से बाहर जाना कानून का उल्लंघन नहीं था. हम उस हर एक मिनट का लेखा जोखा दे सकते हैं जब उन्हें जेल से बाहर रहने की इजाजत दी गई." आगे उन्होंने कहा कि, ‘‘हर कैदी को पैरोल देने के लिए हम सख्त और मानक प्रक्रिया का पालन करते हैं, आरटीआई और जनहित याचिकाओं के दौर में हम कोई जोखिम नहीं लेते.’’ संजय को पत्नी व बेटी की बीमारी के चलते फरलो व पेरोल पर रिहा किया जाता था. गौरतलब है कि, सजा के दौरान अभिनेता पांच महीने से ज्यादा समय तक पैरोल और फरलो पर जेल से बाहर रहे थे.

इसका अन्य कैदियों के परिजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था. बता दे कि, बहुत ही जल्द संजय दत्त की बायोपिक बड़े परदे पर नजर आएगी, इस बायोपिक में संजय दत्त की भूमिका अभिनेता रणबीर कपूर निभाएंगे. इस बायोपिक में बॉलीवुड के और भी दिग्गज कलाकार नजर आएंगे.

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