क्या सचमुच गयासुद्दीन गाज़ी के वंशज थे जवाहर ? जानिए नेहरू परिवार का पूरा सच
क्या सचमुच गयासुद्दीन गाज़ी के वंशज थे जवाहर ? जानिए नेहरू परिवार का पूरा सच
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'जवाहरलाल नेहरू एक वैश्यालय में पैदा हुए थे. अपने आप को कश्मीरी पंडित बताने वाला ये नेहरू परिवार असल में ‘मुसलमानों की पैदाइश’ है. दुनिया में किसी और का सरनेम नेहरू नहीं है? असल में नेहरू के दादा का नाम था गयासुद्दीन गाज़ी. जो कि मुगलों के दरबार में नौकरी करता था. और ये नेहरू परिवार कश्मीर से नहीं, बल्कि अफगानिस्तान से आया था.' 

देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के बारे में इस तरह की बातें आपने भी काफी सुनी होंगी,  क्योंकि इन दिनों सियासी लड़ाई में नेहरू-गाँधी खानदान को जमकर लपेटा जाता है। दरअसल, ये खानदान भारतीय सियासत का केंद्र भी रहे हैं, इसलिए इनके बारे में हकीकत जानना जरुरी भी है। तो आइए शुरू करते हैं।   

 

ये बात है 18वीं सदी के शुरुआती सालों की. जब देश पर मुगलों का शासन था. जैसे आज दिल्ली देश का केंद्र है, वैसे ही उस काल में भी दिल्ली का दरबार हुकूमत का केंद्र हुआ करता था. उस वक़्त तख़्त पर राज था बादशाह फर्रुखसियर का. वही बादशाह, जिसने 1717 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को मुगल साम्राज्य के अंदर रहने और व्यापार करने की अनुमति दी थी. फर्रुखसियर का शासन 1713 से 1719 तक रहा. उन दिनों कश्मीर में एक कौल परिवार भी रहता था. जिसके मुखिया थे राज नारायण कौल. 1710 में उन्होंने कश्मीर के इतिहास पर एक किताब लिखी- तारिख़ी कश्मीर. इस किताब की प्रसिद्धि मुगल बादशाह तक जा पहुंची. उस समय में राजा लोग पढ़े-लिखे लोगों को अपने दरबार में बड़े पदों पर रखते. इसी के चलते उन्होंने राज नारायण कौल को दिल्ली आने और यहीं बस जाने का निमंत्रण दे दिया.

फिर क्या था, राज नारायण कश्मीर छोड़कर दिल्ली आ पहुंचे. फर्रुखसियर ने उन्हें थोड़ी जागीर और चांदनी चौक में एक हवेली इनाम के तौर पर दे दी. इसके लगभग दो वर्ष बाद ही फर्रुखसियर अल्लाह को प्यारे हो गए. जिसने राज नारायण को दिल्ली बुलाया, उसका कत्ल हो गया. लेकिन उसकी दी हुई हवेली राज नारायण के पास ही रही. इस हवेली का किस्सा बड़ा रोचक है. क्योंकि इसी हवेली से जुड़ा हुआ है, कौल परिवार के नेहरू परिवार में तब्दील हो जाने का रहस्य. दरअसल, इस हवेली के पास एक नहर बहती थी. हमारे देश में अक्सर, गांवों में लोग  किसी के परिवार को उसके आस-पास स्थित चीज़ों से पहचानते हैं, जैसे किसी के घर में कुआँ हो, तो लोग उसे कुँए वाला घर कहने लग जाते हैं. चांदनी चौक में जिस जगह राज नारायण कौल रहा करते थे, उस इलाके में दूसरे कई कश्मीरी भी रहते थे. नहर के किनारे हवेली होने की वजह से वो लोग राज नारायण कौल के परिवार को ‘कौल नेहरू’ कहकर बुलाने लगे.  इन्ही राज नारायण के पोते थे, मौसा राम कौल और साहेब राम कौल. मौसा राम कौल के लक्ष्मी नारायण कौल नेहरू हुए, जिनसे गंगाधर नेहरू हुए, जिसके बाद मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल का सिलसिला चला। 

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