क्या मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के साथ अछूतों जैसे व्यवहार सही है?
क्या मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के साथ अछूतों जैसे व्यवहार सही है?
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प्राचीन कथा के अनुसार मह‌िलाओं के लिए मासिक धर्म का नियम भगवान शिव ने देवी पार्वती के कहने पर बनाया था. साथ ही कुछ नियम भी निर्धारित किए थे, जिनका अनुसरण वो उन दिनों के दौरान कर सकें. मनुस्मृत‌ि और भव‌िष्य पुराण में भी इन नियमों का उल्लेख मिलता है. मासिक धर्म के चौथे दिन महिलाएं स्नान के बाद शुद्ध होती हैं. 
 
शास्त्रों के अनुसार नहीं करने चाहिए ये काम: 

- धार्मिक कार्य करने की अधिकारी नहीं होती.
 
- भोजन नहीं बनाना चाहिए. 

- पति का संग नहीं करना चाहिए.

- मंदिर नहीं जाना चाहिए. 

- गुरू और बड़े-बुजुर्गों के पास नहीं जाना चाहिए, न ही उनके चरण स्पर्श करने चाहिए. 

लोक मान्यताओं के अनुसार ये कार्य वर्जित हैं जैसे:
 
- आचार को हाथ नहीं लगाना चाहिए, वो खराब हो जाता है.

- श्रृंगार नहीं करना चाहिए. 

- पौधों को पानी नहीं देना चाहिए, वह सूख जाते हैं।

- जमीन पर शयन करना चाहिए।

- घर से बाहर कदम नहीं रखना चाहिए, बुरी नजर व बुरे प्रभाव में आ जाती हैं।
 
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान इनफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है लेकिन ये सिर्फ और सिर्फ शारीरिक क्रिया है. इस समय में उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार हो ये गलत है.  

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