मौत को गले लगाने के बाद भी इंसान हो जायेगा जिन्दा?
मौत को गले लगाने के बाद भी इंसान हो जायेगा जिन्दा?
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कुछ वौज्ञानिक मौत को खुला चैलेंज दे रहे हैं. इसमें दुनियाभर के कई वैज्ञानिक शामिल हैं जो इस जिद पर अड़ें हुए हैं. हाल ही में अमेरिका में इत्तेफाकन कुछ ऐसा हुआ जिससे वैज्ञानिकों के उस फॉर्मूले को और बल मिल गया जिस पर पहले से ही काम चल रहा था.

डीप फ्रिज कर मृत शरीर को कैसे वापस जिन्दा किया जाए इसके पीछे अमेरिका और रूस के वैज्ञानिक काफी दिनों से लगे हुए हैं. इसी बीच एक खबर के मुताबिक अमेरिका का रहने वाला एक युवक 12 घंटे बर्फ में दबा रहने के बाद दोबारा ज़िंदा हो गया. यह लड़का एक सड़क हादसे में बर्फ के नीचे दब गया था. उसकी धड़कन रुक गई थी, सांसें बंद हो गई थीं लेकिन एक साल तक कोमा में रहने के बाद इसे दोबारा ज़िंदगी मिली. 

अब आप सोच रहे होंगे भला ऐसी कौन सी तकनीक हैं जिसके जरिए वैज्ञानिक मौत को गले लगा चुके इंसान को दुबारा जिन्दा करने में लगे हुए हैं. दरअसल इस तकनीक का नाम हैं क्रायोनिक्स प्रीजरवेशन. इस तकनीक पर करीब तीस साल से भी ज़्यादा संजय से काम किया जा रहा हैं. अमेरिका और रूस की कई कंपनियां मृत शरीर को माइनस 196 डिग्री तापमान में रख कर रिसर्च में लगी हुई हैं. वैज्ञानिकों ने इस फॉर्मूले को एक कीड़े पर प्रयोग किया है, जिसे 30 साल बाद ज़िंदा किया गया.

हिदुस्तान में भी इस फॉर्मूले के सहारे कुछ लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं. जालंधर के नूरमहल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज को दो साल पहले 'क्लिनिकली डेड' घोषित किया चुका है. उनके शरीर को डीप फ्रीज़र में रखा गया है, लेकिन भक्तों को उम्मीद है कि आशुतोष महाराज दोबारा ज़िंदा हो सकते हैं. इसीलिए भक्तों ने उनका अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया है.

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