तेहरान। अपने उदारवादी नजरिए के बावजूद राजनीति में महत्वपूर्ण शख्सियत रहे ईरान के अकबर हाशमी रफसंजानी का रविवार को निधन हो गया। सरकारी टीवी चैनल ने यह जानकारी दी। वह 82 साल के थे। ईरानी मीडिया ने इससे पहले खबर दी कि उन्हें हृदय की समस्या के चलते पहले उत्तरी तेहरान के एक अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद चैनल ने कार्यक्रम बीच में रोक कर उनके निधन की घोषणा की।
प्रत्यक्ष तौर पर उनकी मौजूदगी विभिन्न मंचों पर महसूस की गई। अमेरिका समर्थित शाह को हटाए जाने के बाद ईरान में उथल-पुथल भरे समय में वह एक गतिशील नेता रहे। बाद के सालों में असाधारण रूप से उनका राजनीतिक रूतबा बढ़ता गया।
2013 में अचानक हुए राष्ट्रपति चुनाव में रफसंजानी के राजनीतिक हमसफर रहे हसन रूहानी ने सुधार के मकसद से शुरू कोशिशों में पूर्व राष्ट्रपति को परदे के पीछे की भूमिका दी जिसमें कि वाशिंगटन के साथ सीधी परमाणु वार्ता को बढ़ाना भी था। रफसंजानी को चुनाव में उतरने से रोक दिया गया क्योंकि ईरान के चुनावी प्रेक्षक उनके चौतरफा प्रभाव से चिंतित थे।
आप को बता दे कि राजनीति और कारोबार दोनों में चतुराई भरे कदमों और साख की वजह से उनके जीवनकाल में अकबर शाह, ग्रेट किंग जैसे कई उपनाम भी उन्हें मिले। वर्ष 1979 में इस्लामिक क्रांति के पहले हरेक महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से उनका आमना-सामना हुआ।
ओम पुरी के निधन से भारतीय फिल्म उद्योग को अपूरणीय क्षति....राष्ट्रपति
डाॅक्टर बरई और संपत शिवांगी को प्रवासी भारतीय सम्मान
ममता ने किया जंग का ऐलान, PM मोदी को लेकर कह डाली बड़ी बात