सरकार द्वारा निलंबित किए जाने के फैसले को अमिताभ ठाकुर ने दी कैट में चुनौती
सरकार द्वारा निलंबित किए जाने के फैसले को अमिताभ ठाकुर ने दी कैट में चुनौती
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लखनऊ : उतर प्रदेश सरकार द्वारा 13 जुलाई 2015 को आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को निलंबित किए जाने के फैसले को शुक्रवार को ठाकुर ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल (कैट) की लखनऊ बेंच में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि अखिल भारतीय सेवा अनुशासन नियमावली के नियम 3(8) के मुताबिक निलंबन के 90 दिनों के भीतर इस संबंध में रिव्यू कमेटी द्वारा पुनर्विचार और निलंबन को बढ़ाया जाना आवश्यक होता है।

ऐसा नहीं करने पर अधिकारी का निलंबन श्वतः समाप्त हो जाता है। ऐसे में ठाकुर का कहना है कि उनके निलंबन के 150 दिन बाद 10 दिसंबर, 2015 के आदेश से उनके निलंबन को 10 अक्टूबर तक बढ़ाया गया, जो कि 12 फरवरी 2016 के आदेश द्वारा निलंबन बढ़ाने में हुई देरी को स्वयं ही माफ कर दिया गया।

अमिताभ ने इन सभी आदेशों को अवैध बताते हुए उन्हें 90 दिन पूरे होने के दिन से बहाल किए जाने की प्रार्थना की है। दरअसल ठाकुर ने आरोप लगाया था कि खनन मंत्री गायश्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ लोकायुक्त से शिकायत करने के कारण सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें फोन पर धमकाया था। उनके पास इसकी रिकॉर्डिग भी है।

जब मामला सार्वजनिक हुआ, तो मुलायम ने कहा कि मोबाइल बहुत खतरनाक चीज है, इस पर सावधानी से बात करना चाहिए। इससे पहले गुरुवार को ठाकुर सीएम अखिलेश यादव के घर पर धरना देने पहुंचे। जहां उन्होने पुलिस वालों ने रोका। इस बात की शिकायत भी उन्होने मानवाधिकार आयोग से की है।

शिकायत में अमिताभ ने कहा है कि लखनऊ के निलंबित डीआईजी डी.के. चौधरी के एक वृद्ध व्यक्ति को अकारण थप्पड़ मारने के 15 दिनों के अंदर बहाल किए जाने और उन्हें 8 महीने से अवैधानिक तरीके से निलंबित रखे जाने के मामले में वह अपना कष्ट प्रकट करने अकेले गए थे, पर एसओ गौतमपल्ली एस.के. कटियार के नेतृत्व में पुलिस बल ने उन्हें बाहरी गेट पर ही रोक दिया।

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