इंटरनेट लोकतांत्रिक होने के साथ-साथ खतरनाक भी हैः नोबेल विजेता
इंटरनेट लोकतांत्रिक होने के साथ-साथ खतरनाक भी हैः नोबेल विजेता
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नई दिल्ली। देश के बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि इंटरनेट लोकतांत्रिक होने के साथ-साथ खतरनाक भी है। एक चैनल के खास कार्यक्रम में नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने कहा कि आज के समय में सोशल मीडिया के कारण भीड़ के शासन को तुरंत अभिव्यक्ति मिलती है। 2009 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए वी रामाकृष्णन ने कहा कि भीड़ तो इंटरनेट पर पहले भी इकठ्ठा हुआ करती थी, लेकिन अब सोशल मीडिया के कारण भीड़ का शासन कहीं ज्यादा तेजी से अभिव्यक्त हो रहा है।

उन्होने कहा कि मेरे लिए तो ये एक खतरा है। आखिरकार भीड़ की भी अपनी एक चाल होती है। उनके साथ कार्यक्रम में अमर्त्य सेन, डेविड ट्रिंबल और ऑर्थर मैक्डोनाल्ड भी बैठे थे। ये सभी अतिथि इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि क्या इंटरनेट लोकतांत्रिक और खतरनाक दोनों है। इंटरनेट पर सरकार की प्रतिबंधता पर रामाकृष्णन ने कहा कि इंटरनेट हर तरह के मूर्खों की मदद करता है। जिसमें बदतमीजी करने वाले भी होते है।

आतंकियों को भी साथ आने का मौका मिलता है। आतंकी भी आसानी से आसामाजिक व्यवहारों का प्रचार-प्रसार करते है। सरकार को इंटरनेट के सेंसरशिप और निजता, इंटरनेट के प्रवाह पर सख्ती से पेश आना चाहिए। अमर्त्य सेन ने कहा कि हर सरकार अगला चुनाव जीतना चाहती है, लिहाजा यह देखकर थोड़ी निराशा हो जाती है कि वह किस तरह की बातचीत या संवाद को बढ़ावा दे रही है।

सेन ने कहा कि मेरे लिए यह संवाद कुछ हद तक राज्य और सरकार के बीच का फर्क है। यह सरकार की उतनी जिम्मेदारी नहीं जितनी राज्य की जिम्मेदारी है। राज्य के तहत न्यायपालिका, कानून, आप और मैं सब आते हैं जो सार्वजनिक बहस और परिचर्चा में हिस्सा लेते हैं।

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