रुला देने वाला है ओल्डर पर्सन डे का इतिहास
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हमारे समाज में वृद्ध लोगों के प्रति दो धारणाएं बेहद ही आम है। पहला, बुजुर्ग व्यक्तियों को हमेशा कमजोर, अनुपयोगी और समाज के लिए बोझ कहा जाता है। दूसरा, वृद्ध लोगों को अनुभवी मानते हुए उनकी बात मानने की सलाह  भी प्रदान की जाती है। वृद्ध लोगों के प्रति दोनों  दृष्टिकोणों को संशोधित करने की जरूरत होती है। यह जरूरी नहीं है कि उम्र की वजह से  हर कोई अनुभव संपन्न हो और यह भी आवश्यक  नहीं है कि समाज और परिवार के लिए अनुपयोगी साबित होने लगा है। विश्वभर में स्वास्थ्य सेवाओं के बढ़ने की वजह से लोगों की औसत आयु में बढ़ोतरी भी देखने के लिए मिली है। लेकिन आज समाज में वृद्ध उपेक्षित रहते हैं।

दुनिया भर में वृद्धों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वैश्विक संस्थाएं बुजुर्गों के देखभाल के लिए नए आचार-विचार पर काम करने में लगे हुए है। आज यानी 1 अक्टूबर को विश्व भर में "वृद्ध व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस"  सेलिब्रेट किया जा रहा है। 14 दिसंबर 1990 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1 अक्टूबर को वृद्ध व्यक्तियों के इंटरनेशनल दिवस के रूप में मनाने का संकल्प भी ले लिया है। वृद्ध व्यक्तियों के बारे में यह धारणा है कि वे नया कुछ सीख नहीं सकते हैं। इसी धारणा को तोड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2021 के अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस का थीम- "सभी उम्र के लिए डिजिटल इक्विटी" यानी डिजिटल वर्ल्ड में वृद्ध व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला किया गया। इसका सीधा अर्थ यह है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है।  

नवाचार और घातीय वृद्धि की विशेषता वाली चौथी औद्योगिक क्रांति में तेजी से बढ़ते डिजिटल प्रयोग ने समाज के सभी इलाकों को बदल डाला, इसमें हम कैसे रहते हैं, काम करते हैं और एक दूसरे से संबंधित हैं। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए तकनीकी प्रगति बहुत आशा प्रदान भी कर रही है। फिर भी, वैश्विक आबादी का आधा भाग ऑफ़लाइन है, इसमें सबसे विकसित देशों (87%) और सबसे कम विकसित देशों (19%) (अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU)द्वारा जारी तथ्य और आंकड़े 2020) के मध्य सबसे बड़ा अंतर है। अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की हालिया रिपोर्ट से संकेत भी मिल रहा है  कि समाज में अन्य समूहों की तुलना में महिलाएं और वृद्ध व्यक्ति अधिक हद तक डिजिटल असमानता का अनुभव करते हैं; या तो उनके पास प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की कमी है, या वे तकनीकी प्रगति द्वारा प्रदान किए गए अवसरों से पूरी तरह से लाभ नहीं उठा पा रहे है।

दुनिया भर में बढ़ रही है वृद्धों की संख्या: विश्व भर में लोगों की औसत आयु में वृद्धि हुई है और आज, इतिहास में पहली बार, अधिकांश लोग 8 वर्ष से अधिक जीने की उम्मीद कर सकते हैं। 2015 में दुनिया भर में वृद्धों की संख्या 9 करोड़ थी जो 2050 तक 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या बढ़कर कुल 2 अरब होने की उम्मीद है। आज, 125 मिलियन लोग 80 वर्ष या उससे ज्यादाआयु के हैं। 2050 तक, लगभग इतने ही (120 मिलियन) अकेले चीन में रह रहे थे, और विश्वभर में इस आयु वर्ग के 434 मिलियन लोग होने वाले है 2050 तक सभी वृद्ध लोगों में से 80 प्रतिशत लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहेंगे। लंबा जीवन अपने साथ न केवल वृद्ध लोगों और उनके परिवारों के लिए, बल्कि समग्र रूप से समाज के लिए भी मौका लेकर आ रहा है। 

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