इस्लामाबाद : इन दिनों पाकिस्तान आर्थिंक परेशानियों की मुसीबतों से दो-चार हो रहा है. चाईना-पाक कारिडोर के दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अभी से गड़बड़ाने लगी है. ऊपर से अमेरिका के बाद सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान को मदद देनी बंद कर दी है. ऐसे में पाक की हालत कोढ़ में खाज जैसी हो गई है.
इसी सन्दर्भ में कुछ दिन पहले ही इंटरनेशनल मोनेट्री फण्ड (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि चीन के बड़े निवेश के दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं. आईएमएफ ने तो 2020 के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गंभीर संकट की बात भी कही थी. अब पाकिस्तान के नेशनल बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि देश में विदेशी निवेश में 38 फीसदी से भी ज्यादा की कमी आई है.
उधर अमेरिका के बाद सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद देनी बंद कर दी है और चीन की यही चाल है कि पाकिस्तान में भुखमरी-बेरोजगारी और आतंकवाद सभी सीमाएं तोड़कर सरकारी व्यवस्था को खत्म कर देंगे. कुछ विदेशी विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि इन परिस्थितयों में पाकिस्तान में आंतरिक विघटन हो सकता है और क्षेत्रीय ताकतें अपने अस्तित्व को बचाने के लिए केंद्र से बगावत कर सकती हैं. ऐसे में भीषण रक्तपात के साथ नये आजाद मुल्क अस्तित्त्व में आने से इंकार नही किया जा सकता है.