मोबाइल और सोशल मीडिया ने चुराया बचपन
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सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन के अति इस्तेमाल पर हमें विचार करने की जरुरत है. क्या वाकई हम सामाजिक सौहार्द बढ़ाने और एक दूसरे के सुख-दुःख साझा करने के लिए सोशल मीडिया पर कनेक्ट हो रहे हैं? अगर हाँ तो सोशल मीडिया पर आने वाली प्रतिक्रियाएं हमें इतना आहत क्यों करती हैं? स्वयं की गलतियों को हम हर बार माफ़ कर देते हैं लेकिन अन्यों की गलतियां हमें इतना आहत क्यों करती हैं? आइये न्यूज़ ट्रैक लाइव के साथ जानिये कैसे रोक सकते हैं खुद को आहत होने से और कैसे बाँट सकते हैं दूसरों के साथ खुशियां.

आजकल देखा जा रहा है कि किस तरह टेक्नोलॉजी ने हमारे करीबी लोगों की जगह ले ली है. आज किसी भी मुसीबत को हम दोस्तों या परिवार वालों के साथ बांटने से बेहतर सोशल मीडिया पर शेयर करना ज्यादा पसंद करते हैं. क्योंकि हमारी ज़िन्दगी में मोबाइल और सोशल मीडिया काफी शामिल हो चूका है. हम अक्सर सोशल मीडिया में फ़ैल रहे तरह-तरह के मैसेज से आहत हो जाते हैं. ऐसे में हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किस बात को हमें पर्सनली लेना है किसे नहीं.

वैसे ही इंटरनेट और सोशल मीडिया की तरफ बढ़ते रुझान के कारण हम अपने परिवार वालों से और दोस्तों से बात करना कम कर ही चुके हैं. और यदि इस तरह की खबरें हमारी ज़िन्दगी में दखल देंगी तो आगे भविष्या क्या हो सकता है, इसका अंदाजा आप लगा ही सकते हैं.

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