डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को पुजारी बनाना चाहते थे पिता, जानिए उनसे जुड़ीं ख़ास बातें ?
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को पुजारी बनाना चाहते थे पिता, जानिए उनसे जुड़ीं ख़ास बातें ?
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भारत में कई महान दार्शनिक हुए हैं, उन्हीं में एक नाम है डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का। डॉ सर्वपल्ली ने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा को समर्पित कर दिया था और इसी का उन्हें इनाम मिला कि उनका जन्मदिवस हर साल शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 5 सितंबर को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था और बाद में उनकी इच्छा अनुसार इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। आइए जानते हैं सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़ीं कुछ खास बातों के बारे में। 

जानिए शिक्षक दिवस या डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़ीं कुछ ख़ास बातें 

- न केवल भारत बल्कि आज पूरी दुनिया डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को एक महान शिक्षाविद् और शिक्षक के रूप में जानती है। 

- डॉ राजेंद्र प्रसाद के बाद देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन बने थे।  

- शिक्षकों को लेकर डॉ सर्वपल्ली का यह मानना था कि देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वालों को ही शिक्षक होना चाहिए।

- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पिता को उनका स्कूल जाना और अंग्रेजी पढ़ना कतई भी पसंद नहीं था। वे इसके ख़िलाफ़ थे। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनके पिता शिक्षक नहीं बल्कि एक पुजारी के रूप में देखना चाहते थे।

- पढ़ने में सर्वपल्ली काफी होशियार छात्र थे। उन्होंने प्रायः छात्रवृत्ति के आधार पर ही अपनी शिक्षा पूरी की है। 

- उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब डॉ सर्वपल्ली कलकत्ता(कोलकता) जा रहे थे, तो उन्हें फूलों की बग्घी में बैठाकर मैसूर विश्वविद्यालय से रेलवे स्टेशन तक ले गए थे। 

- एक बार डॉ सर्वपल्ली किसी विषय पर भाषण दे रहे थे और उनके भाषण से जाने-माने प्रोफेसर एच।एन।स्पेलडिंग इस कदर प्रभावित हुए कि राधाकृष्णन को उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय में चेयर स्थापित करने का निर्णय लिया था। 

- भारत के साथ ही विदेशों में भी वे अपने नाम का डंका बजा चुके थे। उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान हेतु साल 1931 में ब्रिटिश सरकार द्वारा नाइट के सम्मान से सम्मानित किया गया था। 

- एक किस्सा यह भी बेहद प्रचलित है कि एक बार डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के कुछ मित्रों और उन्हीं के कुछ छात्रों ने उनसे उनका जन्मदिवस मनाने की बात कही। इस पर डॉ सर्वपल्ली ने कहा कि “मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के स्थान पर अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे इस पर बेहद गर्व महसूस होगा। आगे जाकर 5 सितंबर को ही उनके जन्मदिवस के दिन ही शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा। 

 

 

 

5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस ?

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