वायुसेना को तैयार करते है अनुदेशक
वायुसेना को तैयार करते है अनुदेशक
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अपनी अभेद मारक क्षमता और उच्चतम प्रौद्योगिकी सैन्य प्रणाली की वजह से भारतीय वायुसेना दुनिया की शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक है। वायुसेना के इस गौरवशाली इतिहास के निर्माण के पीछे शिक्षा अनुदेशक की अहम भूमिका रही है। जो देश के रक्षकों को शिक्षण प्रशिक्षण देते हैं। यह सुअवसर मिलना किसी के लिए भी गौरव का विषय है। भारतीय वायुसेना में शिक्षा-अनुदेशक बनकर यह प्रतिष्ठा आप भी हासिल कर सकते हैं। दरअसल एक शिक्षा अनुदेशक का काम वायुसैनिकों को आवंटित विषय की पढ़ाई कराना होता है। वह हर सत्रांत में परीक्षा भी लेते हैं। इसके साथ ही एक सुप्रशिक्षित शिक्षा अनुदेशक को पुस्तकालय संचालन, सूचना कक्षों की गतिविधियों और विद्यालयों में रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाती है। यह पद वरिष्ठ गैर कमीशन अधिकारी का होता है। जिसके लिए अविवाहित भारतीय युवक ही पात्र माने जाते हैं। वायुसेना में शिक्षा अनुदेशक बनने के इच्छुक अभ्यर्थी के लिए 50 फीसदी अंकों के साथ स्नातक होना जरूरी है। इसके अलावा तकनीकी विषय में डिग्री और डिप्लोमा रखने वाले छात्र भी आवेदन कर सकते हैं। 

साथ ही बीसीए और एमसीए डिग्रीधारी इस क्षेत्र में आवेदन के योग्य माने जाते हैं। लेकिन स्नातक उपाधि के साथ-साथ बीएड, पीएचडी अभ्यर्थी की उम्र सीमा वायुसेना की ओर से तय उम्र सीमा के समान होनी जरूरी है। भारतीय वायुसेना की इस प्रतिष्ठित शाखा में रोजगार के इच्छुक अभ्यर्थी को चिकित्सकीय जांच से भी गुजरना पड़ता है। इसके लिए अभ्यर्थी की न्यूनतम ऊंचाई 152.5  सेंटीमीटर, छाती का न्यूनतम फुलाव 75 सेंटीमीटर, वजन ऊंचाई और उम्र के अनुपात में होना चाहिए। इसके साथ ही 600 सेंटीमीटर तक ध्वनि सुनने की क्षमता भी होनी चाहिए। साथ ही सभी संरचणीय रोगों से मुक्त और मानसिक, शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहना भी अनिवार्य है।

शिक्षा अनुदेशक के पद पर नियुक्ति की चयन प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होती है। लिखित परीक्षा, शारीरिक स्वास्थ्य परीक्षण और इंटरव्यू। यह परीक्षा आमतौर पर सितंबर और अक्टूबर में होती है। लिखित परीक्षा में अंग्रेजी- सामान्य और सामयिकी विषयों से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। इसका परिणाम फौरन बता दिया जाता है। इसके बाद अ यर्थी को शारीरिक स्वास्थ्य परीक्षण में भाग लेना होता है। जिसके तहत उसे 8 मिनट में 1.6 किलोमीटर की दौड़ लगानी होती है। इसके बाद आखिरी दौर में चिकित्सकीय पड़ताल संपन्न होती है। ये परीक्षाएं बिहटा, बंगलुरु और अंबाला में आयोजित होती है । 

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