आठ लडकियाँ अलग अलग कतार में दौड़ लगाने के लिए खड़ी हैं, रेडी---- स्टडी ---- गो ---- और धायँ ---- और पिस्तौल की आवाज़ के साथ ही आठों लडकियां दौड़ पड़ती हैं, ब-मुश्किल वो सभी 4 या 5 मीटर आगे गयी होंगी की उनमें से एक लड़की फिसल कर गिर जाती है और उसे चोट लग जाती है, दर्द के मारे वह लड़की जोर जोर से रोने लगती है, बाकि की सातों लड़कियों को भी उसके रोने की आवाज़ सुनाई पड़ती है, और ये क्या ........ ? ?
अचानक वो सातों लडकियाँ वहीँ रुक जाती हैं, एक पल के लिए वो सभी एक दुसरे को देखती हैं और सातों की सातों वापस उस घायल लड़की की तरफ दौड़ पड़ती हैं, पुरे मैदान में सन्नाटा छा गया, आयोजक भी परेशान, सारे अधिकारी हैरान, तभी एक अप्रत्याशित घटना घटती है वो सातों लडकियाँ अपनी घायल प्रतिभागी को उठा लेती हैं, और फिर चल पड़ती हैं उस तरफ जहाँ जीत की रेखा खीची गयी है, एक साथ आठों लडकियाँ उस जीत की रेखा पर पहुँच जाती है, ये सब देखकर सारे लोगों की आँखों में आँसूं बहनें लगते हे मित्रों ये दौड़ ( नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेन्टल हेल्थ ) द्वारा आयोजित की गयी थी और सबसे आश्चर्य की बात यह की वो आठों की आठों लडकियां मानसिक रूप से बीमार थी,
जो इंसानियत, मानवता, प्यार, खेलभावना, सहभाव और समानता का भाव उन आठों लड़कियो ने दिखाया वो शायद हम जैसे मानसिक रूप से विकसित और पूर्ण रूप से ठीक मनुष्य भी कभी नही दिखा पाते, क्यों कि, हमारे पास दिमाग है जो उनके पास नही था, हमारे पास स्वार्थ है जो उनके पास नही था, हमारे पास अक्कढ़ रवैया है जो उनके पास नही था और शायद इन्ही सब कारणों से वो सब ये कर पायी वरना हम जेसी नार्मल होती तो शायद वो भी ये सब नहीं कर पाती ।
इसलिए कहते हे कभी भी
प्यार इंसान से करो उसकी - औकात से नही,
रूठो उनकी बातों से - उनसे नही,
भूलो उनकी गलतियों को - उनको नही,
जिंदगी में रिश्तों से बढकर कर - और कुछ भी नही,
अगर जिंदगी में हमें दोस्त न मिलते तो ये कभी समझ नही आता, की अजनबी लोग भी अपनों से ही नही अपनी जान से भी प्यारे हो सकते हैं