जाने कहा विलुप्त हो गया किसानों का दोस्त नीलकंठ
जाने कहा विलुप्त हो गया किसानों का दोस्त नीलकंठ
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विषपान करने और उसे पचा लेने के लिए ही शिव का नाम नीलकंठ पड़ा था, और नीलकंठ पक्षी का नाम भी इसके कुछ इसी तरह के चरित्र के कारण रखा गया होगा, क्योंकि यह पक्षी फसलों के खतरनाक कीड़ों को निगल कर किसानों की मदद करता रहा है। लेकिन किसानों का यह नीलकंठ अब विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। दो दशक पूर्व तक खेत-खलिहानों से लेकर बागानों में यह पक्षी खूब दिखाई देता था। आसानी से दिखने वाले नीलकण्ठ की अधिकता को लेकर कभी इसकी गणना की भी पहल नहीं की गई, लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि नीलकण्ठ अब तलाशने के बावजूद नहीं दिख रहे। 

किसानों का दोस्त कहे जाने वाले नीलकण्ठ को उसने स्वयं कब देखा, वह नहीं जानता। दरअसल पीठ पर नीली धारी और नुकीली चोंच वाला एकांतप्रिय नीलकण्ठ किसानों की फसलों के कीड़े पलक झपकते लपक लेता है और इस वजह से वह फसल को नुकसान से बचाता आया है। अब इसके नजर नहीं आने की कीमत किसान भी समझ रहे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके लिए हम सभी गुनहगार हैं। हमने अधिक उपज पाने के लिए फसलों में अंधाधुंध कीटनाशक इस्तेमाल किए। यही जहर नीलकण्ठ के लिए जानलेवा साबित हुआ है। आज प्रदेश के कई हिस्सों, विशेष रूप से इसका गढ़ कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नीलकंठ पक्षी विलुप्त होने के कगार पर है। 

इंटरनेशनल यूनियन फॉर नेचर कंजर्वेशन ने पांच साल पहले ही नीलकंठ को विलुप्त प्राय मानते हुए इसके संरक्षण की गुहार लगाई थी, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक, नीलकण्ठ को कीड़े, फल, मक्का, मूंगफली, रोटी, मीट, बेर व बीज आदि खूब पसंद हैं। आज फसलों में बेहिसाब कीटनाशक का प्रयोग हो रहा है। फसलों के उत्पाद व कीड़े खाने से कीटनाशकों का जहर नीलकंठ के शरीर में पहुंच रहा है। यही उनके लिए काल बन गया है। 

पुराणों में भी नीलकंठ को खास स्थान दिया गया है। ज्योतिषाचार्य गणेश दत्त त्रिपाठी ने बताया कि वेद-पुराणों में भगवान शिव को नीलकंठ कहा गया है। इस रंग-बिरंगे खूबसूरत पक्षी का गला भी नीला है। इस कारण इसे शुभ मानते हैं। पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम ने नीलकंठ के दर्शन करके ही रावण का वध किया था। तभी से नीलकंठ का दर्शन शुभ माना जाने लगा। बावजूद इसके न धार्मिक दृष्टिकोण, न वर्तमान जरूरत और न ही प्रकृति की गोद में विचरते एक बेहद सुन्दर पक्षी को बचाने की पहल की गई, जिसका खामियाजा आज सबके सामने है। 

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