इंदौर की ईदगाह में 300 सालों में पहली बार नहीं पढ़ी गई नमाज़, घरों में मनाई गई ईद
इंदौर की ईदगाह में 300 सालों में पहली बार नहीं पढ़ी गई नमाज़, घरों में मनाई गई ईद
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इंदौर: देश में कोरोना वायरस महामारी के प्रसार का बड़ा केंद्र बने इंदौर में सोमवार को ईद-उल-फितर का त्योहारी उल्लास घरों में सिमट कर रह गया। गुजरे 300 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ, जब शहर के एक प्रमुख ईदगाह में ईद की नमाज नहीं पढ़ी गई। इस कर्फ्यूग्रस्त शहर में हजारों लोगों ने ईद की नमाज अपने घरों में ही रहकर नमाज़ पढ़ी और इसके बाद एक-दूसरे से गले मिलने की जगह फोन, वीडियो कॉल व सोशल मीडिया के माध्यम से इस त्योहार की मुबारकबाद का आदान-प्रदान किया।

शहर काजी मोहम्मद इशरत अली ने प्रेस वालों से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले 300 वर्षों में ईद पर पहली बार ऐसा मौका आया है, जब (कर्फ्यू के चलते) शहर के सदर बाजार ईदगाह के ताले भी नहीं खुले। अली ने कहा कि कोरोना वायरस हम इंसानों के लिए एक सजा नहीं है, तो आखिर क्या है? दुनिया भर में प्रत्येक धर्म के इबादतगाह बंद पड़े हैं। ऐसे वक्त जरूरत इस बात की है कि हम मानवता का माहौल और भाईचारा बरकरार रखें।

इस बीच, पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारीयों ने शहर काजी के घर जाकर उन्हें ईद-उल-फितर की मुबारकबाद दी। हालांकि, इस दौरान भी शहर काजी और अफसरों को सोशल डिस्टेंसिंग की हिदायतों का पालन करते देखा गया।

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