'अमर जवान ज्योति' बुझाने का आरोप लगा रहे राहुल, जानिए इस संबंध में क्या था इंदिरा गांधी का विचार
'अमर जवान ज्योति' बुझाने का आरोप लगा रहे राहुल, जानिए इस संबंध में क्या था इंदिरा गांधी का विचार
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नई दिल्ली: इंडिया गेट पर रखी अमर जवान ज्योति की लौ को अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में प्रज्वलित लौ में ही विलय कर दिया गया है। यहीं पर 1947 से अब तक देश की अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा के लिए शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक ज्योति पहले से जल रही है। अब दोनों ज्योतियां एक हो चुकी हैं। हालांकि इसे लेकर सियासी बवाल भी मचा हुआ है और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसे शहीदों का अपमान बता रही है। वहीं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तो साफ़ यह बोल रहे हैं कि मोदी सरकार ने अमर जवान ज्योति को बुझा दिया है। लेकिन, इस सियासी बवाल के बीच अमर जवान ज्योति की स्थापना करने वालीं पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के इस बारे में क्या विचार थे, ये जान लेना आवश्यक हो जाता है।  

बता दें कि 1971 में इंदिरा गांधी ने इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति को रखा था। बांग्लादेश युद्ध के दौरान शहीद हुए लगभग 4 हजार भारतीय सैनिकों की याद में यह ज्योति प्रज्ज्वलित की गई थी। मगर उस समय खुद इंदिरा गांधी ने भी एक स्थायी युद्ध स्मारक बनवाने की बात कही थी। ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का रखा जाना एक अस्थायी व्यवस्था थी। उस वक़्त खुद इंदिरा गांधी ने देश के लिए शहीद होने वाले जवानों के सम्मान के लिए स्थायी स्मारक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। इंदिरा गांधी ने अमर जवान के नाम से स्मारक निर्मित करने की बात भी कही थी। इंदिरा की सरकार में रक्षामंत्री रहे बाबू जगजीवन राम ने 1 सितंबर, 1972 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि इंडिया गेट पर रखी गई अमर जवान ज्योति अस्थायी है और भविष्य में एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनवाने की योजना है।

बाबू जगजीवन राम ने लोकसभा में कहा था कि, 'एक अस्थायी युद्ध स्मारक, अमर जवान ज्योति के साथ इंडिया गेट के पास स्थापित किया गया है। आज़ादी के बाद से अब तक देश के लिए शहीद हुए जवानों के सम्मान के लिए एक स्थायी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इस स्मारक में 1971 के युद्ध सहित सभी युद्धों में शहीद हुए जवानों के नाम अंकित किए जाएंगे। इसके साथ ही उन रेजिमेंट्स और यूनिट्स के भी नाम अंकित किए जाएंगे, जिन्होंने आजादी के बाद सभी मिलिट्री ऑपरेशंस और युद्धों में भाग लिया है। इस बारे में उचित वक़्त पर फैसला लिया जाएगा।'

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