संस्कृत में भारत की आत्मा झलकती है- राष्ट्रपति
संस्कृत में भारत की आत्मा झलकती है- राष्ट्रपति
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नई दिल्ली : संस्कृत केवल अध्यात्म या दर्शन शास्त्र या साहित्य के क्षेत्र की ही उपयोगी भाषा नहीं है, बल्कि यह गणितीय समस्याओं के समाधान और मशीनी ज्ञान को बढ़ाने में भी सहायक है. दरअसल संस्कृत में भारत की आत्मा झलकती है. यह बात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के 17 वें दीक्षांत समारोह में कही.

बता दें कि इस आयोजन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संस्कृत का महत्व बताते हुए कहा कि संस्कृत अध्यात्म ,दर्शन शास्त्र या साहित्य के अलावा गणितीय समस्याओं के समाधान और मशीनी ज्ञान को बढ़ाने में भी मदद करती है. कृत्रिम योग्यता के क्षेत्र में भी संस्कृत अपना महत्व दिखा रही है.संस्कृत में भारत कीआत्मा झलकती है.संस्कृत कई भाषाओं की जननी है.यह ज्ञान और विज्ञान की भाषा है.

इस मौके पर महामहिम ने संस्कृत के उन विभूतियों का भी स्मरण किया जिन्होंने अपने ज्ञान और आविष्कारों को उन्नत किया .इनमें आर्यभट्ट, वराह मिहिर, भाष्कर, चरक और सुश्रुत प्रमुख हैं. अब योग पूरी दुनिया को अपना महत्व दिखा रहा है. विश्व में आयुर्वेद का भी महत्व बढ़ रहा है जिसका मूल संस्कृत में है .उन्होंने कहा कि संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से ज्यादा तार्किक और नियम वाली भाषा है. संस्कृत के सन्देश विश्व कल्याण के लिए उपयोगी है .इसलिए राष्ट्रपति ने इसे जन -जन की भाषा बनाने का आह्वान किया. राष्ट्रपति ने पवन वर्मा की आदि शंकराचार्य पर लिखी पुस्तक का विमोचन भी किया.

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