नई दिल्ली : जहाँ एक तरफ देश में देशद्रोह संबंधी कानून को लेकर चर्चा आम हो रही है, तो वहीँ इस बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भी एक बयान सामने आया है. जिसके अनुसार यह बात सामने आई है कि भारतीय दंड संहिता को आज की 21वीं सदी के अनुसार ढ़लने की जरुरत है और इसके लिए राष्ट्रपति ने आज एक विस्तृत समीक्षा की जरूरत बताई है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि प्राचीन पुलिस प्रणाली में भी कुछ अहम बदलाव किये जाने की जरुरत है.
बता दे कि आईपीसी की 155वीं वषर्गांठ के इस मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे उन्होंने यह कहा कि पिछले 155 वर्षों में आईपीसी में बदलाव की गति काफी सुस्त देखने को मिली है. अपराधो की इस सूचि में बहुत ही कम अपराधों को जोड़ने का काम किया गया है और साथ ही उन्हें दंडनीय बनाया गया है. इसके साथ ही जानकारी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि आज भी संहिता में ऐसे अपराध दर्ज है, जिन्हे की ब्रिटिश प्रशासन ने केवल देश में औपनिवेशिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था.
यहाँ तक कि कई ऐसे नए अपराध है जिन्हे अभी संहिता में शामिल किए जाने के साथ ही परिभाषित किए जाने की जरुरत है. गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पनपे मामले को लेकर देश में देशद्रोह का कानून मुख्य चर्चा का विषय बनकर सामने आया है. इसको लेकर यह बात सामने आई है कि इसके दवरा ना केवल समावेशी समृद्धि अवरुद्ध हुई है बल्कि साथ ही राष्ट्रीय विकास पर भी इसका असर हुआ है.