भारत की अर्थव्यवस्था में जहाँ एक तरफ मजबूती देखने को मिल रही है तो वहीँ अब यह बात सामने आई है कि भारत के द्वारा पिछले 4 सालों में करीब 400 करोड़ से भी ज्यादा का चार्ज चुकाने का काम किया गया है. इस मामले में यह बताया जा रहा है कि यह रकम एशियन डिवेलपमेंट बैंक, जापान, जर्मनी और इंटरनेशनल बैंक फॉर रीकंस्ट्रक्शन ऐंड डिवेलपमेंट (IBRD) को "खर्च नहीं हो पाए एक्सटर्नल लोन" के तहत कमिटमेंट चार्ज के रूप में चुकानी पड़ी है. साथ ही यह भी देखने में आ रहा है कि इस कदम का सबसे बड़ा फायदा जापान के साथ ही एशियन डेवलपमेंट बैंक को पहुंचा है.
आपको साथ ही इस बात से भी अवगत करवा दे कि यह बात महानियंत्रक और लेखापरीक्षक (CAG) की वित्त वर्ष 2014-15 की रिपोर्ट में सामने आई है. CAG ने इसको देखते हुए यह भी कहा है कि यह रिपोर्ट भारत कि अपर्याप्त योजना को दर्शा रही है. जबकि साथ ही आपको यह भी बता दे कि पिछले साल ही रिपोर्ट में यह बात कही गई थी कि सरकार के द्वारा तब कमिटमेंट चार्ज के तौर पर करीब 110 करोड़ रु से भी ज्यादा की रकम का भुगतान किया गया था.
आपको मामले में इस बात से अवगत करवा दे कि कमिटमेंट चार्ज को लोन की उस रकम जोकि इस्तेमाल में नहीं आई है पर लगाया जाता है. CAG की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि सरकार ने ऋण तो सामान्य दरों पर ही प्राप्त किया है लेकिन यदि इसी ऋण राशि में कमिटमेंट चार्ज को जोड़ दिया जाता है तो ऋण पर ली गई राशि बाजार से बहुत महंगी हो जाती है.