जर्मनी से भारत घूमने आईं और बन गईं गौसेवक, मोदी सरकार ने पद्मश्री से किया सम्मानित
जर्मनी से भारत घूमने आईं और बन गईं गौसेवक, मोदी सरकार ने पद्मश्री से किया सम्मानित
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नई दिल्ली: भारत में गत 25 वर्षों से गौ सेवा कर रहीं जर्मन महिला फ्रेडरिक ब्रुइनिंग को 70वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मोदी सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है। 61 वर्षीया ब्रुइनिंग की गौशाला में सैकड़ों गाय और बैल हैं। इनमें से अधिकतर वो गाय हैं जिन्हें उनके मालिकों ने उन्हें छोड़ दिया है। मथुरा में लोग उन्हें 'सुदेवी माता' के नाम से पहचानते हैं।

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जर्मनी के बर्लिन शहर से भारत में पर्यटक के रूप में घूमने के मक़सद से आईं फ्रेडरिक ब्रुइनिंग को मथुरा शहर इतना पसंद आ गया कि पहले तो उन्होंने यहीं दीक्षा लेकर गुरु के आश्रम में रहने का निर्णय लिया और फ़िर बाद में एक घायल बछड़े की वेदना ने उन्हें इतना पीड़ित कर दिया कि वो यहीं रहकर गायों की सेवा में तल्लीन हो गईं। ब्रुइनिंग बताती हैं कि इसके लिए उन्होंने अपने पिता से आर्थिक सहायता देने के लिए कहा था, जिसे उनके पिता ने स्वीकार कर लिया और आज तक उन्हें पिता प्रतिमाह उन्हें गायों की सेवा करने के लिए पैसे पहुंचते रहते हैं।

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फ्रेडरिक ब्रुइनिंग बताती हैं कि वे चालीस साल पहले भारत आईं थीं और भारत के अलावा श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया और कई अन्य देशों मे   भी गईं लेकिन मथुरा और वृंदावन ने उन पर इतना प्रभाव छोड़ा कि फिर उनका यहां से जाने का मन नहीं किया। हालांकि वर्ष में कम से कम एक बार वो अभी भी अपने देश जर्मनी ज़रूर जाती हैं। 

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