खतरों के खिलाड़ी है कमांडो, न खाते है और न सोते है
खतरों के खिलाड़ी है कमांडो, न खाते है और न सोते है
Share:

नई दिल्ली : जिन कमांडो ने पाकिस्तानी सीमा के अंदर घुसकर पचास आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा है, उन कमांडो की डगर कठिन है। उन्हें न केवल हर दिन खतरों का सामना करना पड़ता है वहीं जब उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है तो भी उनके लिये परीक्षा की घड़ी होती है। कमांडो खतरे के खिलाड़ी माने जाते है।

जो ट्रेनिंग में सफल हो जाता है, उसे ही बतौर कमांडो सेना में नियुक्त किया जाता है। जब भी ये कमांडो किसी आॅपेशन के लिये मोर्चे पर जाते है, वहां वे अपने प्रशिक्षण के तहत न तो कुछ खाते है और न ही पानी की प्यास उन्हें लगती है  रही बात नींद की तो, नींद कोसो दूर रहती है। कुल मिलाकर पंद्रह दिनों तक कमांडो बगैर खाये या सोये, आॅपरेशन को सफल बनाकर ही लौटते है।

आतंकियों और उनके ठिकानों को तहस नहस करने वाले सेना के कमांडो की बहादुरी के चर्चे पूरे देश में हो रहे है। सेना सूत्रों के अनुसार कमांडो का उपयोग केवल खास आॅपरेशन के लिये किया जाता है और इनकी ट्रेनिंग भी कठिन होती है। 

हर दिन 40 किमी की दौड़

बताया गया है कि कमांडो को हर दिन चालीस किलोमीटर से अधिक दौड़ लगानी पड़ती है तथा पंद्रह दिनों तक जागने की भी ट्रेनिंग इन्हें दी जाती है। इसके अलावा तैरने से लेकर खतरों से खेलने के लिये हर तरह की ट्रेनिंग इन्हें देने का नियम सेना में है। सेना अधिकारियों के अनुसार आॅपरेशन के दौरान कमांडो बगैर कुछ खाये या सोये हुये भी मोर्चे पर डटे रहते है।

भारत को नाज है इन पर 

भारत को अपनी  सेना और कमांडो पर नाज है। जिन कमांडो के सहारे भारत अपने दुश्मनों को मिट्टी में मिला देता है, उनमें मार्कोस के साथ ही पैरा कमांडोज, गरूड़ और एनएसजी कमांडो शामिल है।

50 से अधिक आतंकियों को सुलाया था मौत की नींद

आर्मी के एक्शन के बाद नवाज के शरीफ बोल: अच्छे पड़ोसी की तरह रहना...

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -