भारतीय सेना में अपना एक अलग ही नाम कमाने वाले जवान जोगिन्दर सिंह को परमवीर वीर चक्र से नवाजा गया है, 26 सितंबर 1921 को भारत में पंजाब के मोगा में जन्में इस वीर की गाथा भारतीय सेना में आज भी याद की जाती है। सेना में रहे श्री सिंह ने देश के लिए कई लड़ाईयां लड़ी हैं, जिनमें कई दफा उन्हें क्षति भी हुई लेकिन वे कभी पीछे नहीें हटे।
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यहां बता दें कि सूबेदार जोगिन्दर सिंह भारतीय सेना की एक तुकड़ी के कमांडर थे और उन्हें 1962 में हुए चीन से युद्ध के लिए नेफा के रास्तों पर तैनात किया गया था। इस लड़ाई में जोगिन्दर सिंह को गोली लगने के बाद भी उन्हौंने चीनी सेना के कई सैनिकों को मौत के घाट उतारा था। जिसमें उन्हौंने असला, बारूद खत्म होने के बाद भी हार नहीं मानी और न ही अपनी टीम के सैनिकोें का आत्मबल कमजोर होने दिया। वे लगातार ही सैनिकों का उत्साह बढ़ाते रहे और लड़ने के लिए उन्हें प्रेरित करते रहे, गोली लगने के बाद भी उन्हौंने हार नहीं मानी और एक खंजर से चीनी सैनिकों पर हमला करना शुरू कर दिया। अंत में सन् 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान ही भारत के ये वीर सपूत लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए।
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युद्ध के दौरान जोगिन्दर सिंह की जांघ में गोली लगने पर भी उन्हौंने चीनी सैनिकों को खंजरों से मौत के घाट उतारा था, भारतीय सेना के इतिहास में इस जवान ने अपनी एक अमिट ही पहचान बनाई है, जिसके लिए भारत सरकार ने उन्हें सबसे बड़े सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से भी नवाजा है। सूबेदार जोगिन्दर सिंह भारतीय सेना में आज भी याद किए जाते है, और उनके द्वारा युद्ध में लड़ी गई लड़ाईयां भारत के इतिहास में आज भी अमर हैं।
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