1 साल तक चीनी निर्यात नहीं करेगा भारत, जानिए क्या है केंद्र के इस फैसले की वजह ?
1 साल तक चीनी निर्यात नहीं करेगा भारत, जानिए क्या है केंद्र के इस फैसले की वजह ?
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नई दिल्ली: विश्व में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत ने घरेलू बाजार में कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए अक्टूबर 2023 तक इसके एक्सपोर्ट पर प्रतिबंधित लगा दिया है. सरकार और उद्योग के अधिकारियों के मुताबिक, भारत को इस वर्ष रिकॉर्ड गन्ने का उत्पादन करने की उम्मीद है. साल 2021-22 के विपणन वर्ष में भारत का चीनी निर्यात 57 फीसद बढ़कर 109.8 लाख टन हो गया है, जो कि सितंबर में ख़त्म हुआ. इससे भारत को लगभग 40,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा मिली.

इसी प्रकार विपणन वर्ष 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के आखिर में, किसानों के लिए गन्ना बकाया में सिर्फ 6,000 करोड़ रुपये थे, क्योंकि मिलों ने उन्हें पहले ही 1.18 लाख करोड़ रुपये की कुल देय राशि का 1.12 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया था. खाद्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि 2021-22 विपणन वर्ष के लिए 'भारत विश्व का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता के साथ ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक के तौर पर उभरा है.'

बता दें कि, 2021 और 2022 के बीच देश में 5,000 लाख टन से ज्यादा गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जिसमें से चीनी मिलों ने तक़रीबन 3,574 लाख टन की पेराई करके लगभग 394 लाख टन चीनी (सुक्रोज) का प्रोडक्शन किया. इसमें से 359 लाख टन चीनी का उत्पादन चीनी मिलों ने किया, जबकि 35 लाख टन चीनी को एथेनॉल निर्माण के लिए डायवर्ट किया गया. बता दें कि गन्ने की पेराई अमूमन अक्टूबर या नवंबर में आरम्भ होती है और अप्रैल के मध्य तक जारी रहती है, जबकि चीनी का मौसम आमतौर पर अक्टूबर से सितंबर तक ही चलता है. वहीं, भारत इस साल रिकॉर्ड चीनी फसल का उत्पादन होने की उम्मीद कर रहा है, जिससे नई दिल्ली को 80 लाख टन तक के निर्यात की इजाजत मिल सकती है.

बता दें कि इससे पहले, मई माह में सरकार ने 1 जून, 2022 से प्रभावी चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था. उस समय केंद्र ने कहा था कि घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता को बरक़रार रखने के इरादे से 1 जून से चीनी निर्यात को विनियमित करने का फैसला लिया गया था. वहीं, अगस्त महीने में भी पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCEA) ने गेहूं या मेसलिन के आटे के लिए छूट की नीति में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी. यह कदम अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की इजाजत देगा, जिससे देश में गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगेगी.

 

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