style="text-align: justify;">विश्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास दर अनुमान को बढ़ा कर आठ प्रतिशत कर दिया है और कहा है कि भारत एक ऐसे क्षेत्र में है जहां न केवल सर्वोच्च आर्थिक विस्तार हुआ है, बल्कि वह क्षेत्र सस्ते तेल से सर्वाधिक लाभान्वित भी होने वाला है। बैंक की दक्षिण एशिया आर्थिक फोरम रपट के मुताबिक, इस क्षेत्र में निर्यात सेक्टर लगातार चिंता का कारण बना हुआ है, और तेल आयात सस्ता होने से ईंधन सब्सिडी व्यवस्था में पूरी तरह बदलाव करना होगा। यह रपट साल में दो बार जारी की जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा भारत की सॉवरेन रेटिंग में बदलाव करने के बाद विश्व बैंक ने भारत की विकास दर के बारे में नया अनुमान जारी किया है।
इससे पहले मूडीज ने भारत की रेटिंग स्थाई से बढ़ा कर सकारात्मक कर दी थी। एक अन्य प्रमुख रेटिंग एजेंसी फिच ने भी भारत के स्थिर परिदृश्य को बरकरार रखा है। अमीर देशों के थिंक टैंक आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने भी भारत के आर्थिक विस्तार अनुमानों का समर्थन किया है।
विश्व बैंक के दक्षिण एशिया क्षेत्र के प्रमुख अर्थशास्त्री मार्टिन रामा के मुताबिक, "सस्ते तेल का लाभ दक्षिण एशिया द्वारा उठाया जाना अभी बाकी है। लेकिन यह स्वत: सरकार या उपभोक्ताओं के खातों में नहीं पहुंचेगा।" उन्होंने कहा, "सस्ता तेल ऊर्जा कीमतों को दोबारा तर्कसंगत बनाने, सब्सिडी के कारण पैदा वित्तीय बोझ घटाने और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देने का अवसर प्रदान करता है।"
विश्व बैंक के मुताबिक, वित्त वर्ष 2015-16 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर बढ़ कर 7.5 प्रतिशत होने का अनुमान है।
रपट के मुताबिक, "वित्त वर्ष 2016-2018 के दौरान निवेश बढ़ कर 12 प्रतिशत होने की वजह से भारत की विकास दर 2017-18 में आठ प्रतिशत तक पहुंच सकती है।" रपट में कहा गया है कि भारत खपत आधारित विकास दर से अब निवेश आधारित विकास दर की ओर बढ़ रहा है, जबकि इसी दौरान चीन ठीक इसके विपरीत दिशा में जा रहा है।