नेपाल : भूकंप की तबाही झेल रहे नेपाल में भारत बड़े पैमाने पर राहत एवं बचाव कार्य में मदद दे रहा है तथा भारत द्वारा किसी दूसरे देश को प्राकृतिक आपदा में दिया गया यह अब तक का सबसे बड़ा राहत कार्य है। नेपाल में भारत के राजदूत ने सोमवार को ये बातें कहीं। भारतीय राजदूत रंजीत राय ने भारत द्वारा किए जा रहे राहत कार्यो के बारे में काठमांडू स्थित राजनयिक समुदाय को यह बातें बताईं। नेपाल में 25 अप्रैल को आए 7.9 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप में अब तक 7,500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तथा 14,000 से अधिक लोग जख्मी हुए हैं।
भारतीय दूतावास से जारी वक्तव्य में रंजीत राय ने कहा कि 'ऑपरेशन मैत्री' प्राकृतिक आपदा झेल रहे किसी अन्य देश में भारत का सबसे बड़ा राहत अभियान है। उन्होंने कहा, "यह सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर भारत की गहनतम प्रतिबद्धता दर्शाता है। साथ ही भारतवासियों ने भी नेपाल की मदद में भरपूर मदद की है तथा नेपाल की सीमा से लगे भारत के सभी राज्यों ने भी नेपाल की मदद में पूरी कटिबद्धता दिखाई है।"
राय ने कहा कि भारत अपनी सीमा में नेपाल की हर तरह की मदद के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल को विनाशकारी भूकंप आने के मात्र छह घंटे के भीतर राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल की राहत एवं बचाव टीम और राहत सामग्री के साथ भारतीय वायु सेना का विमान काठमांडू पहुंच गया था। तब से अब तक भारतीय वायु सेना के विमानों ने 32 उड़ानों में 520 टन राहत सामग्री नेपाल पहुंचाई है, जिसमें टेंट, कंबल, दवाएं, भोजन, पानी, भारी इंडिनीयरिंग उपकरण, एंबुलेंस, पेयजल शुद्ध करने वाले यंत्र, ऑक्सिजन जेनरेटर, 18 चिकित्सीय सदस्यों वाला सेना का दो पूर्ण सुविधायुक्त फील्ड अस्पताल, सेना की 18 इंजिनीयरिंग टीम और एनडीआरएफ की 16 टीमें शामिल हैं।
उन्होंने कहा, "जब से ये टीमें नेपाल पहुंची हैं, नेपाल सरकार के समन्वय में बिना रुके चौबीसो घंटे राहत कार्य में लगी हुई हैं।" भारतीय वायुसेना के आठ एमआई-7 एवं पांच एएलएच हेलीकॉप्टर काठमांडू और पोखरा में राहत कार्य में लगाए गए हैं तथा अब तक 449 उड़ानों में 207 टन राहत सामग्री पहुंचा चुके हैं और 900 घायलों को निकाल चुके हैं तथा विभिन्न देशों के फंसे हुए 1,700 नागरिकों को पहुंचा चुके हैं।
उन्होंने कहा, "भारतीय चिकित्सा दलों ने अब तक 2,600 भूकंप पीड़ितों का उपचार किया है। इनमें से 1,170 घायलों का उपचार बारपाक में किया गया।" राय ने बताया कि नई दिल्ली के भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से आया 31 सदस्यीय चिकित्सा दल और गुजरात से आया एक चिकित्सा दल काठमांडू के नेशनल ट्रॉमा सेंटर में भूकंप पीड़ितों के उपचार में लगा हुआ है। इसके अलावा हरिद्वार के शांतिकुंज से आए 11 चिकित्सक भी काठमांडू में उपचार प्रदान कर रहे हैं।
हरियाणा और पंजाब से आई दो टीम भक्तपुर और कुपोंडोल में लंगर चला रही है, जिससे प्रतिदिन 10,000 लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बिहार और उत्तर प्रदेश से 4,500 टन राहत सामग्री भी नेपाल पहुंच चुका है, जिसमें भोजन, पानी, दवाओं, टेंट, कंबल, तिरपाल शामिल है। वक्तव्य के अनुसार, बैठक के दौरान राजनयिकों ने भारत द्वारा प्रदान किए जा रहे राहत एवं बचाव कार्य की 'जमकर सराहना' की और कहा कि वे नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करना चाहेंगे।