HWL : भारत को बेल्जियम को हल्के में लेना पड़ा भारी
HWL : भारत को बेल्जियम को हल्के में लेना पड़ा भारी
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बेल्जियम के हाथों हॉकी वर्ल्ड लीग (एचडब्ल्यूएल) सेमीफाइनल के सेमीफाइनल मुकाबले में भारत की हार भारतीय खिलाड़ियों की व्यक्तिगत खामियों का नतीजा है। भारत को शुक्रवार को खेले गए मुकाबले में 0-4 से हार मिली। भारत ने जहां मेजबान टीम को पांच पेनाल्टी कार्नर दिए और तीन पर गोल होने दिया वहीं भारत एक भी पेनाल्टी कार्नर पर गोल नहीं कर सका। अब भारत तीसरे स्थान के लिए ब्रिटेन से भिड़ेगा। ब्रिटेन को आस्ट्रेलिया ने हराकर फाइनल के लिए स्थान सुरक्षित किया। फाइनल मुकाबला पांच जुलाई को बेल्जियम और आस्ट्रेलिया के बीच होगा। अब बात भारत और बेल्जियम मुकाबले की। जब कोई टीम अपने घर में खेल रही होती है तो उसका पलड़ा भारी माना जाता है। ऐसे में भारत के लिए बेल्जियम को थोड़ा हल्के में लेना महंगा पड़ा। हल्के में इसलिए क्योंकि भारतीय कोच पॉल वान ऐस ने इस मैच में युवाओं को मौका दिया। यह शायद इसलिए हुआ क्योंकि भारतीय टीम पहले ही रियो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर चुकी है। युवाओं के इस ग्रुप ने अपना पहला अहम नॉकआउट मैच खेला।

नॉकआउट स्तर पर खेलने के लिए कोच को हमेशा अनुभवी टीम चुननी चाहिए। हर टीम यही करती है। जब भारतीय टीम के पूर्व कोच जोस ब्रासा ने टीम को मजबूती प्रदान करने का काम शुरू किया था, तब भारतीय खिलाड़ियों ने नई चीजों को अपनाया था। भारतीय टीम नए सिस्टम में खेली। नए फॉरमेट को आजमाया। इसी को हम आज यूरोपीयन हॉकी कहते हैं। उस समय भी हमारी टीम कई यूरोपीयन टीमों से बड़े अंतर से हारी। ऐसे में युवाओं से लैस भारतीय टीम का बेल्जियम से 0-4 से हारना हैरान नहीं करता लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ होता है कि हमारे खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत स्तर पर कई ऐसी गलतियां कीं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए था। हमारे खिलाड़ी गेंद पर ठीक से नजर नहीं रख रहे थे। बेवजह ट्रिबलिंग कर रहे थे। वन ऑन वन डिफेंस पर फ्लैट स्टिक टैकल कर रहे थे।

साथ ही साथ उन्होंने पांच पेनाल्टी कार्नर लुटा दिए, जिस पर मेजबान टीम ने तीन गोल कर दिए। कुल मिलाकर हमारी टीम बल्जियम की ही तरह सुधार की दिशा में है। बेल्जियम की टीम काफी सालों से सुधार की प्रक्रिया में है। यह टीम विश्व कप और ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई भी नहीं कर सकी है। ऐसे में भारतीय कोच को आने वाले मैचों के दौरान खिलाड़ियों को व्यक्तिगत गलतियों से बचने की नसीहत देनी होगी। सुधार की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा।

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