दो महाशक्तियों को साधना भारत की है बड़ी सफलता
दो महाशक्तियों को साधना भारत की है बड़ी सफलता
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भारत ने जब वर्ष 1999 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तो विश्व थर्रा उठा। पाकिस्तान तो क्या दूर बैठी महाशक्ति अमेरिका तक दहल गया और सवाल उठने लगे यह कैसे संभव है। भारत के रक्षा वैज्ञानिकों और वैज्ञानिकों समेत देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार की तारीफ होने लगी। मगर परमाणु परीक्षण की सफलता से गर्वित हुआ भारत एक बड़ी परेशानी का सामना करने वाला था आखिर वह क्या थी।

अमेरिका ने अपनी दादागिरी दिखाई और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में प्रतिबंधित करने की घोषणा कर दी मगर वीर रस की कविताऐं करने वाले तत्काली प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्र जागरण का अलख जगाते हुए भारतीय बाजारों में स्वदेशी का अलख जगाया। अमेरिकी दादागिरी कुछ ही समय में अमेरिका पर भारी पड़ती नज़र आई। अमेरिका को मानना पड़ा कि भारतीय बाजार के बिना उसके उत्पाद विश्व में टिक नहीं सकेंगे। बाद में अमेरिका ने अपना प्रतिबंध वापस ले लिया और फिर अमेरिका और भारत करीब आए और एक अच्छे मित्र बन गए। मगर अमेरिका से नज़दीकियों के बाद यह माना गया कि भारत विश्व की एक और महत्वपूर्ण शक्ति रूस को काफी दूर कर चुका है।

हालांकि भारत के शीर्ष नेता विभिन्न सम्मेलनों में विभिन्न रक्षा सौदों के माध्यम से रूस के शीर्ष नेताओं से जुड़े रहे लेकिन फिर भी भारत का अमेरिका की ओर झुकाव को लेकर यह माना गया कि भारत रूस की अपेक्षा अमेरिका से अच्छी दोस्ती रखता है। ऐसे में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर आरोप लगे कि भारत अमेरिका की ओर अधिक झुूका और नतीजा यह हुआ कि रूस ने पाकिस्तान की सेना के साथ अपनी सेना के युद्धाभ्यास को मंजूरी दे दी।

मगर भारत के गोवा में आयोजित हुए ब्रिक्स सम्मेलन में केंद्र सरकार ने जिस गर्मजोशी से रूस को अपना बना लिया उससे यही लगता है कि रूस आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी भाषा में अपने भाषण की शुरूआत कर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को प्रभावित किया। व्लादिमीर पुतिन को मोदी का यह अंदाज़ बेहद पसंद आया है इस बात में कोई संदेह नहीं है।

हालांकि भारत के लिए रूस एक पुराना मित्र तो रहा है ही है लेकिन रूस वर्षों से भारत को सैन्य उपकरण उपलब्ध करवाते आया है। ऐसे में रक्षा क्षेत्र का एक बड़ा सहयोगी रूस रहा है। इस बार भी भारत ने रूस से एस - 400 मिसाईल रोधी तंत्र प्राप्त करने को लेकर जो करार किया है वह बेहद महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान जिस तरह से हर बार भारत को परमाणु हमले की धमकी देता है उसे लेकर भारत अपना रक्षातंत्र मजबूत करने की ओर आगे बढ़ा है।

इस तंत्र के कार्य करने के बाद भारत चीन और पाकिस्तान की मिसाईलों को उसी की सीमा में टारगेट कर सकेगा। यह तंत्र परमाणु क्षमता से लैस मिसाईलों को भी रोक सकता है। ऐसे में बेलिस्टिक और परमाणु क्षमता युक्त मिसाईलें भी दुश्मन की सीमा में ही टारगेट हो जाऐंगी। भारत द्वारा उर्जा क्षेत्र में रूस के साथ करार करने से भारत की क्षमता बढ़ेगी। रूस विश्व की एक प्रमुख महाशक्ति है।

भारत द्वारा 16 समझौतों के माध्यम से इसके साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह कहने से कि भारत और रूस एक साथ आगे बढ़ेंगे तो भविष्य उज्जवल है से व्लादिमीर पुतिन की नीतियों पर जरूर कुछ असर होगा। भारत ने रूस को मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट में निवेश के लिए मनाया है ऐसे में यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण बात है।

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