5 स्वतंत्रता दिवस पर 383 मिनिट बोले पीएम मोदी
5 स्वतंत्रता दिवस पर 383 मिनिट बोले पीएम मोदी
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नई दिल्ली: 2014 के भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से देशवासियों को सम्बोधित करते आ रहे हैं. पीएम मोदी से पहले भी प्रधानमंत्री इस उपलक्ष्य पर लाल क़िले से भाषण देते आ रहे हैं, लेकिन अगर पीएम मोदी की बात करें तो उनकी शैली बाकी सबसे अलग है.

लाल किले का सुरक्षा घेरा 


1984 में तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी पर हमले के बाद से लाल क़िले पर एक बुलेट प्रूफ सुरक्षा घेरा बना दिया गया था, मनमोहन सिंह के पीएम रहने तक 360 डिग्री का एक सुरक्षा घेरा प्रधानमंत्री को घेरे रहता था, लेकिन पीएम मोदी ने जनता से सीधे संवाद स्थापित करने के लिए इसे हटा दिया. पिछले 4 साल में आतंकियों की धमकियों के बावजूद पीएम मोदी ने कभी सुरक्षा घेरे का इस्तेमाल नहीं किया. यह इस अर्थ का अर्थ है कि देश सुरक्षित हाथों में है और कानून और व्यवस्था की स्थिति अच्छी है.

भाषण देने का तरीका 


मनमोहन सिंहजी 10 साल तक पीएम पद पर रहे और इस दौरान उन्होंने हर साल लिखी हुई स्पीच पढ़कर भाषण दिया, लेकिन पीएम मोदी ने कभी भी लिखी हुई स्पीच का उपयोग नहीं किया, उनके भाषण सहज और तत्क्षण होते हैं. पीएम मोदी के भाषण की एक खूबी ये भी है कि वे हमेशा अपने भाषणों में योजनाओं का उल्लेख करते हैं, साथ ही केंद्र सरकार की जो योजनाएं पूर्ण हुई हैं, उसकी भी जानकारी देते है, जैसे 2015 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में उन्होंने उपलब्धि किया था कि सरकार ने 2.65 स्कूलों में 4.25 लाख शौचालय और 17 करोड़ लोगों को जनधन योजना से जोड़ने का कार्य पूर्ण कर लिया है.

पीएम मोदी अपने भाषण में योजनाओं की घोषणा करने के साथ उनके पूर्ण होने की अवधि भी निर्धारित करते हैं, 2015 में उन्होंने 1000 दिनों में देश के हर गाँव में बिजली पहुँचाने का लक्ष्य बनाया था और मोदी सरकार ने इस लक्ष्य को 28 अप्रैल 2018 में ही प्राप्त कर लिया, डेडलाइन के कुछ दिनों पहले ही. लाल क़िले के मंच तक पहुँचने का पीएम मोदी का अंदाज़ भी दूसरे प्रधानमंत्रियों से अलग है, जहाँ पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह, मंच तक पहुंचने के लिए लिफ्ट का उपयोग करते थे, वहीं पीएम मोदी रेड कारपेट पर चहलकदमी करते हुए मंच तक जाते हैं, जो एक स्वस्थ और चुस्त लीडर की निशानी है. परंपरागत तौर पर राष्ट्रीयगान प्रधानमंत्री के ध्वजारोहण और उनके भाषण के समय बजाया जाता था और पीएम का भाषण ख़त्म होने के साथ ही कार्यक्रम का भी समापन हो जाता था, लेकिन पीएम मोदी के समय राष्ट्रियगान पीएम मोदी के भाषण समाप्ति के बाद पुनः बजाया जाता है.

भाषण की समयावधि


पीएम मोदी खुद इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस क्षेत्र में उन्हें सुधार करने की जरुरत है. उनके पूर्व प्रधानमंत्रियों में से मनमोहन सिंह का भाषण हमेशा 32 से 45 मिनिट का रहता था, सिर्फ 2005 और 2006 में उन्होंने 50 मिनिट का भाषण दिया था. पीएम मोदी की ही पार्टी के अटल बिहारी बाजपाई भी 25 से 30 मिनिट का भाषण देते थे, जबकि पीएम मोदी का भाषण इनसे काफी लम्बा होता है. 2014 में अपना पहला भाषण पीएम मोदी ने 65 मिनिट का दिया था, 2015 में 86 मिनिट और 2016 में उनका भाषण 94 मिनिट तक पहुँच गया था. जिसके बाद खुद पीएम मोदी ने कहा था कि उन्हें इस सम्बन्ध में कुछ शिकायतें मिली है और उन्होंने कहा था कि अगले साल वे इसे कम करने का प्रयास करेंगे, अपने कथन को पीएम मोदी ने याद रखते हुए 2017 में अपना भाषण 56 मिनिट में समाप्त कर दिया था, किन्तु इस साल कई सारे मुद्दे और पीएम मोदी के आगामी चुनाव के पहले अंतिम भाषण होने के कारण 2018 में भी उन्होंने 82 मिनिट लम्बी स्पीच दी. 

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