आज भी हिंदुस्तान की ज़रूरत है डॉ. कलाम
आज भी हिंदुस्तान की ज़रूरत है डॉ. कलाम
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इस वर्ष भारत 69 वा स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। 90 साल की लड़ाई के बाद भारत ने जो सवतंत्रता का स्वप्न पूरा किया वह आसानी से पूर्ण नही हुआ। इस दौरान भारत के कई क्रांतिकारियों और लाखो लोगो ने स्वतंत्रता के महा यज्ञ में अपने रक्त की आहुति दी। स्वतंत्रता के इस उत्सव में हिंदुस्तान की ऑंखें नम है। भारतमाता ने उस लाल को खो दिया जो उसके आँचल में बैठ आसमान से बाते करता था। खुली आँखों से हिंदुस्तान को नॉलेज सुपरपावर बनाने का स्वप्न देखता था। लेकिन जीवन की सच्चाई में भारत का रत्न कही खो गया है। विडंबना यह है की मातृभूमि को अलविदा कहने के बाद भी राजनीति के घमासान में नेतागीरी झाड़ने वाले सांसद हंगामे की गूंज से संसद की चार दिवारी को थर्रा रहे है। मन विचलित होता है यह सब देख कर। आज भी ज़रूरत है भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम की।

दुःखी हु मैं राजनीति के घमासान को देखकर। प्रिय कलाम साहब आपके जाने का दुःख बहुत है मुझे लेकिन गुस्सा भी बहुत आ रहा है। आप ये क्या सिखा कर चले गए। आपने जीवन में सिर्फ दो छुट्टियाँ ली। आप तो भारत के राष्ट्रपति थे, आराम कर सकते थे फिर ये काम की रट क्यों लगाए रहे। सबसे पहली बात आप नेता ही क्यों बने, क्या कोई नेता पढ़ा लिखा होता है ? अगर आप राष्ट्रपति बने तो ये नियम क्यों नही बना दिया की अब से कोई अंगूठाछाप नेता नही बन सकेगा। जिस दिन नेता संसद में लड़ेंगे उनकी सैलरी काटी जाएगी। और देर से आने वाले अफसरों की क्लास लगेगी। मुझे आपसे नाराजगी इस बात को लेकर भी है की अपने देश को मिसाइल ही क्यों दी ? न हमारे पास आधुनिक हथियार होते और न ही हमसे पडोसी देश जलते। आप एक बेग लेकर राष्ट्रपति भवन में पहुचे थे और कार्यकाल खत्म होने के बाद एक बेग लेकर निकले। जबकि आपके बाद वाले ट्रको में सामान भरकर निकले थे।

भारत में तो चपरासियों के घर से करोडो रुपए निकल रहे है और आप सिर्फ एक बेग लेकर निकले। ये क्या सिखा गए आप आने वाली पीढ़ी को, सादगी और शालीनता से किसका पेट भरा है साहब। लोगो को आपके जैसा सम्मान नही सिर्फ पैसा चाहिए। एक और बात जो आपकी मुझे बहुत गलत लगती थी की अपने कभी राष्ट्रपति जैसा रौब नही जमाया। यहाँ पार्षद बनते ही नेता ऐसे मदमस्त हाथी की तरह चलता है की उसे आसपास वाले दिखाई ही नही देते लेकिन कोई आपके लिए ऊँची कुर्सी ही लगा दे तो आप नाराज़ हो जाते थे। छोटे बड़े का भेद तो आपको समझना चाहिए था कलाम साहब। अब बात करते है आपकी कमाई की।

जितना मुझे पता है देश के राष्ट्रपति को लाख रुपए से ज्यादा की सैलरी हर महीने मिलती है, और सुविधाए अलग से। सरकार पैसे देती है खुद पर खर्च करने के लिए ऐशो आराम और मोज मस्ती के लिए लेकिन आपने सारी सैलरी एनजीओ को दान दे दी। यहाँ तक जब आपके घर वाले दिल्ली घूमने आए तो उन पर हुआ खर्च भी आपने अपनी सेलरी से दिया। एक बार हुक्म तो देते सब कुछ फ्री में हो जाता। आज का नोजवान युवा वैसे ही राजनीति में नही आता और अगर आप जैसे दो-तीन राष्ट्रपति और आ गए तो नोजवानो का नेतागीरी से विशवाश ही उठ जाता।

मेने ये भी सुना है की आप सफलता का सारा श्रेय अपनी टीम या जूनियर्स को देते थे। अच्छा हुआ प्राइवेट कंपनी में नौकरी नही की नही तो जल्दी निकाल दिए जाते और सब आप पर हँसते, जैसे आपने कोई बढ़ा गुनाह कर दिया हो। शिकायतों की ये लिस्ट बहुत लंबी है कलाम साहब। हमें पता है आप लोट कर आओगे लेकिन अगली बार प्लीज़ मेरी शिकायतों की लिस्ट याद रखना। या तो हमें अच्छाई न सिखाना और अगर सिखाओ तो भारत के भाग्यविधाता तुम ही बनना। आप हमेशा जियोगे हमारे दिल में कलाम साहब।

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