देश भर में स्वाधीनता दिवस पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाने की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई है और इस अवसर पर न केवल सरकारी स्तर पर विभिन्न आयोजन होंगे वहीं स्थानीय स्तर पर भी कार्यक्रमों का आयोजन कर देश के लिए मर मिटने वालों का स्मरण किया जाएगा। वस्तुतः देश की स्वाधीनता प्राप्ति में बड़ी संख्या मे लोगों ने अपना बलिदान दिया है। इनमें से कई के नाम जीवंत है और कई ऐसे भी है, जिनकी पहचान तक नहीं है।
लेकिन कुल मिलाकर देश के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में वे सभी अक्षुण्ण है जिन्होंने अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया है। स्वाधीनता दिवस की प्रसन्नता में हम सब संलग्न रहते है, बच्चों को मिठाई का वितरण होता है, झंडा फहराया जाता है तथा मुल्क के लिए संकल्प लिया जाता है कि विकास करेंगे, रक्षा करेंगे। स्वाधीनता दिवस केवल एक पर्व नहीं है, यह हमारे लिए आत्म सम्मान की बात है इसलिए इसे आत्म सम्मानार्थ स्वरूप में मनाया जाना चाहिए तभी इसकी सार्थकता और अधिक सिद्ध हो सकेगी।
आजादी का अर्थ यह कदापि नहीं होता है कि मनमर्जी से मुल्क का संचालन किया जाए, आजादी का अर्थ यह नहीं माना जाना चाहिए कि जिसकी सत्ता उसी का राज या हित में यदि कदम उठाए जाए तो विरोधी दल राजनीति करें......।
ऐसे उदाहरण पिछले दिनों देखे जा चुके है जब आतंकी याकूब को फांसी पर लटकाया गया लेकिन इस मामले में जिस तरह से राजनीति हुई या बयानबाजी सामने आई उससे उन लोगों की भावना आहत जरूर हुई, जिनके परिजनों की जान हमले में लील गई। खैर बीती ताहि बिसार दे और आगे की सुध ले जैसी बात को चरितार्थ करते हुए विकास की बात करें, हित की बात हो तथा जहां हित की बात सामने आए, वहां राजनीति को दरकिनार कर एक हो जाए....।