स्वतंत्रता दिवस : कांच के ढेर में पड़ा एक बेशकीमती हीरा !
स्वतंत्रता दिवस : कांच के ढेर में पड़ा एक बेशकीमती हीरा !
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स्वतंत्रता दिवस यानी आजादी का वह दिन जब देश के वीरों ने इस मातृभूमि को देश के गद्दारो से आजाद कराया था. इस दिन देश के करोड़ो लोगो ने एक नए भारत का सपना देखा था. आज के दिन क्रांतिकारियों के लहू से आाजदी की ईमारत खड़ी की गई थी, लेकिन आजादी के 70 साल बाद आज वह ईमारत जर्जर हो चुकी है. क्रांतिकारियों द्वारा अपनी जान की बाजी लगाकर देश के दुश्मनों से छीन कर लाया गया यह आजादी रूपी मोती आज अपनी चमक खोता जा रहा है. आजादी के 69 साल बाद आज लोग आजादी की उस कीमत को भूल चुके है, जिसके लिए देश के कई वीरों ने अपने प्राणो की आहुति दे दी. उस आजादी को जिसे देश के क्रांतिकारियों ने हमें इस उम्मीद से विरासत में दी थी की हम इसे एक खुशहाल भारत बनाएंगे. लेकिन क्या आज हमारा देश वाकई ऐसा है, जैसा आज से 68 पहले देश के लोगो ने सोचा था?

नहीं हमारे स्वत्रंतता सैनानियों ने तो ऐसे भारत की कल्पना भी नहीं की थी. रोज चोरी, लूट, भष्ट्राचार, हत्या और बलात्कार से भरे से इस देश के न्यूज़ पेपर कहीं से भी इस देश की खुशहाली को बयां नहीं करते. जहाँ एक क्रिकेट मैच देखने के लिए करोड़ो लोग आ जाते है, लेकिन सड़क पर पड़े किसी असहाय को बचाने के लिए कोई आगे नहीं आता. क्या यही था हमारे स्वत्रंतता सैनानियों का सपनो का भारत? क्या इस भारत के लिए उन्होंने अपनी जान गवाई थी? आज हमारा स्वतंत्रता दिवस कांच के ढेर में पड़े उस बेशकीमती हीरे जैसा हो गया है, जो है तो अनमोल लेकिन शायद सभी को उसकी कीमत का अंदाजा नहीं है. आज समाज के एक बड़े वर्ग को आजादी का सही मतलब भी नहीं पता. सभ्य समाज का यह वर्ग स्वतंत्रता दिवस के दिन सुबह देर से उठता है, परिवार के साथ घूमने बाहर जाता है, लेकिन देश के उन जवानों को याद करना भूल जाता है, जिनकी वजह से वें आजाद भारत में साँस ले रहे है.

खेर अच्छी बात यह है कि ऐसे लोगो की संख्या कम है, लेकिन यह तेजी से बढ़ रही है. दूसरी और देश के अधिकतर लोग स्वतंत्रता दिवस को सुबह जल्दी उठकर आजादी का जश्न मनाएंगे. जोश से भरे इस देश के नौजवान भारत माता की जयकार करेंगे. घरो पर, वाहनों पर, चौराहो पर झंडा लहराएंगे. लेकिन स्वत्रंतता दिवस के एक दिन बाद यानि 16 अगस्त को देश की आन बान शान का प्रतीक वह तिरंगा गलियों में, सड़को पर और कचरे के मिलता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक दिन के लिए ही था जोश से भरे देश के इन युवाओं का देश प्रेम? तिरंगे को जलाने वाले उन देश के गद्दारों को गलियां तो हम सब देते है, लेकिन सड़को पर तिरंगे को फेकते समय और उस तिरंगे को देखकर भी अनदेखा करते समय हमारी देश भक्ति कहाँ चली जाती है?

आज आजादी के 69 साल बाद हमें आजादी की उस कीमत को समझना होगा, जिसे स्वत्रंतता सेनानियों ने बड़ी लड़ाई के बाद हमें सौंपी है. खैर इन सब के बाद भी देश में देश के लिए मर मिटने वालो की कमी नहीं है. हमारे देश की सभ्यता, संस्कृति, सविधान, देश में जन्म लेने वाले महापुरूषों और देश के लिए मर मिटने वाले सैनिकों को देखकर आज भी हमें अपने देश पर गर्व होता है.

स्वतंत्रता दिवस के इस राष्ट्रीय पर्व हमारी और से आपको स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं.

कपिल माली

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