मध्यप्रदेश के इस जिले में अपराधियों के हौसले बुलंद, अराजकता की ओर कदम बढ़ा रहा जिला!
मध्यप्रदेश के इस जिले में अपराधियों के हौसले बुलंद, अराजकता की ओर कदम बढ़ा रहा जिला!
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आलिराजपुर से दिलीप सिंह वर्मा की रिपोर्ट

आलिराजपुर। मध्यप्रदेश का आदिवासी बाहुल्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पिछडा आलिराजपुर जिले में इन दिनों अपराधियों के हौसले इतने बुंलदी पर है कि वे पुलिस अधिक्षक पर गोलियां दाग रहे और पुलिस अधिकारीयों से उनकी बंदूके तक छिन रहे है। ये सब चिजें इन बातों की और इशारा करती है की प्रदेश का यह आदिवासी जिला धीरे-धीरे अराजकता की ओर कदम बढ़ा रहा है। समय रहते इन अपराधों पर नकेल नहीं कसी गई तो जिला अपराधियों का गढ़ बनकर उनकी शरणस्थली बन जायेगा। मध्यप्रदेश का यह आदिवासी बाहुल्य जिला जहां की आबादी 85 प्रतिशत से अधिक आदिवासी बाहुल्य है तथा इस जिले की सिमाऐं महाराष्ट्र और गुजरात राज्य के साथ ही साथ प्रदेश के धार, झाबुआ और बडवानी जिलों से लगती है। जिसके कारण अपराधि अपराध कर आसानी से अन्यत्र फरार हो जाता है, आलिराजपुर जिला रेत माफिया, शराब माफिया, हत्या जैसे मामलों में प्रमुखतासे जाना जाता है। लेकिन अब यहां पर अपराधों का तरिका बदलता जा रहा है और नये-नये तरिकों से अपराध होने लगे है जिसके चलते आदिवासी लडकियों और महिलाओं को बरगलाकर लव जैहाद जैसे अपराध भी यहां पर पनपने लगे है।

पिछले तिन महिनों का आंकलन करें तो आलिराजपुर जिले के बोरी क्षेत्र में पुलिस अधिकारीयों से एक बार पिस्तौल तो एक बार बंदूक छिन कर अपराधी फरार हो गये। वहीं पंचायत चुनावों के दौरान एक पूर्व सरपंच की घर में सौते वक्त हत्या कर दी गई। हाल ही में शराब माफियाओं ने धार जिले में अधिकारीयों पर हमला कर दिया जिसमें पकडे गये। अपराधियों के घरों पर विगत दिनों प्रशासन ने बुलडोजर भी चलाया है। सोडवा थाने के अंर्तगत एक मामला प्रकाश में आया है, जिसमें एक मुस्लिम युवक ने एक आदिवासी महिला को प्रेम प्रसंग में फंसाया और फिर उसके साथ मिलकर उसके पति की हत्या कर दी। वहीं दो दिन पहले आलिराजपुर के एक बदमाश ने आलिराजपुर के पुलिस अधिक्षक पर एवं एसडीओपी पर फायर कर गोलियां दाग ने में हिचक नहीं की। इन अपराधों के घटने से यह स्थिति साफ हो जाती है कि मध्यप्रदेश का यह अति पिछडा जिला किस प्रकार से अपराधों की तरफ तेजी से आगे बढता जा रहा है और दिन प्रतिदिन घटनाऐं तेजी से बढ रही है पुलिस और जिला प्रशासन को इसके लिये सतर्क रहते हुए, इस बात पर पैनी नजर रखना होगी की जिले में बहार से किस प्रकार के लोग आ जा रहे है और इतने अपराध क्यों अचानक से यहां पर घटित हो रहे है।

अन्यथा वह दिन दूर नहीं जबकि यह आदिवासी जिला अपराधों का अड्डा बन जाए। झाबुआ के पुलिस अधिक्षक सिर्फ इसलिये हटा दिये गये कि उन्होनें छात्रों से बदसलूकि की लेकिन आलिराजपुर के पुलिस अधिक्षक पर भी अपराधों के बढते ग्राफ को देखते हुए तलवार लटकती हुई दैखी जा सकती है। अगर समय रहते पुलिस अधिक्षक ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और अपराधों पर अंकुष नहीं लगाया तो फिर उन पर भी कभी भी गाज गिर सकती है।

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