सुप्रीम कोर्ट का आदेशः नाबालिग अवस्था में ‘आपराधिक भूल’ नौकरी में नहीं बन सकती बाधा
सुप्रीम कोर्ट का आदेशः नाबालिग अवस्था में ‘आपराधिक भूल’ नौकरी में नहीं बन सकती बाधा
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नई दिल्ली: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नाबालिग अवस्था में छेड़छाड़ का आरोप सरकारी नौकरी में बाधा नहीं बन सकता.वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को यह टिप्पणी करते हुए एक अभ्यर्थी को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में सब इंस्पेक्टर के तौर पर नौकरी देने का आदेश दिया. जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत शरण की पीठ ने कहा कि प्रमोद (परिवर्तित नाम) पर जब आरोप लगा था उस वक्त वह नाबालिग था. साथ ही उसे बाद में आरोपमुक्त कर दिया गया था. पीठ ने कहा कि अगर दोषी भी ठहराया जाता तो भी यह उसकी नौकरी के रास्ते में बाधा नहीं बन सकता क्योंकि घटना के समय वह नाबालिग था. जंहा पीठ ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 का हवाला देते हुए कहा कि अगर नाबालिग दोषी भी ठहराया जाता तो वह भी गौण हो जाता है. जिससे कि उस पर अपराधी होने का दाग न रहे. ऐसी व्यवस्था नाबालिग को सामान्य लोगों की तरह समाज में वापस लौटने के लिए की गई है. साथ ही पीठ ने यह भी पाया कि अभ्यर्थी ने मुकदमे के बारे में छुपाने की कोशिश भी नहीं की थी.

यह था मामला: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मार्च 2015 में कर्मचारी चयन आयोग ने सीआईएसएफ में सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए आवेदन मंगाए थे. जंहा प्रमोद का इस परीक्षा में अंतिम रूप से चयन हो गया और सितंबर 2016 में उसे नियुक्ति का ऑफर मिला था. वहीं नियुक्ति फार्म में उसने बताया कि उसके खिलाफ छेड़खानी का मुकदमा चला था लेकिन वह आरोप से बरी हो गया था. लिहाजा मामला स्टैंडिंग स्क्रीनिंग कमेटी के पास गया. कमेटी ने आपराधिक मामला दर्ज होने के कारण प्रमोद को इस नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं माना. 

हाईकोर्ट ने दिया था नौकरी देने का आदेश: सूत्रों का कहना है कि प्रमोद ने इसे राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी और कोर्ट ने सरकार को इस पर विचार करने का आदेश दिया. कमेटी ने एक बार फिर से प्रमोद को नौकरी देने के उपयुक्त नहीं पाया, जिसे प्रमोद ने फिर से हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रमोद के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नौकरी देने का आदेश दिया. एकल पीठ के इस आदेश को सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी, लेकिन याचिका खारिज हो गई. इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी.

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