भारतीय कारोबार जगत में धोखाधड़ी ज्यादा : सर्वेक्षण
भारतीय कारोबार जगत में धोखाधड़ी ज्यादा : सर्वेक्षण
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वाशिंगटन : भारत विश्व की भ्रष्टतम कंपनियों वाले देशों में से एक है। दुनियाभर की स्थानीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा किए गए और न्यूयॉर्क की सलाहकार फर्म क्रॉल इंक द्वारा प्रमाणित इस सर्वेक्षण में दुनियाभर के लगभग 770 वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इन अधिकारियों से 2014 में अपनी कंपनियों में किसी भी तरह की धोखाधड़ी के मामलों के बारे में पूछा गया। सर्वेक्षण के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल लगभग दो-तिहाई अधिकारियों ने कहा कि उन्हें भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और स्वामित्व सूचना जैसी अन्य जानकारियां चुराने सहित विभिन्न तरह की धोखाधड़ी की घटनाओं का पता लगा है। भारत जैसे विकासशील देशों में यह समस्या विकट है, क्योंकि सर्वेक्षण में भारत से शामिल 80 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि उन्हें अपनी कंपनी में भ्रष्टाचार के बारे में पता है।

भारत में किसी अन्य देश की तुलना में धोखाधड़ी के मामले ज्यादा होते हैं। जानकारी के अनुसार भारतीय अधिकारियों ने भ्रष्टाचार और रिश्वत, नियामकों के उल्लंघन, मनी लॉड्रिंग और बौद्धिक संपदा की चोरी की अधिक सूचनाएं दीं। रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक रूप से सर्वेक्षण में शामिल सभी प्रतिभागियों में से 11 प्रतिशत का कहना है कि उन्होंने कंपनी में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामलों का पता है, जबकि 25 प्रतिशत भारतीय प्रतिभागियों का कहना है कि पिछले एक साल में कॉर्पोरेट जगत में भ्रष्टाचार के अधिक मामले उजागर हुए हैं। वहीं इसके मुकाबले सर्वेक्षण में शामिल चीन के लगभग 18 प्रतिशत और रूस के 20 प्रतिशत प्रतिभागियों को ही भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का पता चला है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य देशों के मुकाबले भारत में इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी का एक कारण यह है कि हाल के वर्षो में अधिक से अधिक भारतीय कंपनियों ने भ्रष्ट गतिविधियों पर कार्रवाई शुरू की है। क्रॉल इंक की दक्षिण एशियाई शाखा की प्रमुख रेशमी खुराना के मुताबिक, भारत में भारतीय कंपनियों और निवेशकों के लिए धोखाधड़ी की समस्या जस की तस बनी हुई है। इस समस्या का मूल कारण यह भी है कि भारत में मानकों और वित्तीय नियामकों का सख्ती से पालन नहीं होता। उदाहरण के लिए, कंपनियों के बहीखातों की जांच स्वतंत्र रूप से होनी चाहिए, लेकिन कई बार इन कंपनियों के बहीखातों का हिसाब ऐसे ऑडिटरों द्वारा किया जाता है, जिनके कंपनी प्रबंधन से घनिष्ठ संबंध होते हैं।

खुराना ने बताया कि भारत में कंपनियों के लिए एक मुख्य समस्या सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के अलावा विक्रेता को बड़ा ठेका देने के बदले अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेना भी है। इस धोखाधड़ी के बारे में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में नियमों के अनुपालन में कमी शामिल अन्य सर्वेक्षित देशों की तुलना में सबसे खराब दर्जे की है। इस सर्वेक्षण में एक भारतीय प्रतिभागी का कहना है कि वैश्विक स्तर की तुलना में भारत में नियामकों के उल्लंघन की दर औसत 12 प्रतिशत अधिक है। वैश्विक स्तर पर 22 प्रतिशत लोगों ने भौतिक परिसंपत्तियों की चोरी के मामलों के बारे में बताया है, जबकि भारत में ही 17.5 प्रतिशत लोगों ने इस तरह की चोरी के मामलों का पता होने की बात कही है।

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