ऐतिहासिक स्थल और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है राजगीर
ऐतिहासिक स्थल और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है राजगीर
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अगर आप गर्मी छुट्टी में कहीं एक ही स्थान पर जाकर सभी तरह के पर्यटक स्थलों का मजा लेना चाहते हैं तो इसके लिए बिहार के नालंदा जिले का राजगीर आपके लिए सबसे उपयुक्त स्थल होगा। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर राजगीर में प्राचीन, पौराणिक और ऐतिहासिक स्थलों की लंबी श्रृंखला है। राजगीर की हरियाली जहां प्राकृतिक सौंदर्य प्रेमियों को लुभाती है, वहीं धर्म पर विश्वास करने वाले लोग राजगीर आकर अपने आराध्य का दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं। राजगीर हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों का प्रमुख तीर्थस्थल है। राजगीर की पंच पहाड़ियां विपुलगिरी, रत्नागिरि, उदयगिरि, सोनगिरि और वैभारगिरि न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हैं, बल्कि मान्यता है कि जैन धर्म के जो 11 गंधर्व हुए हैं, उनका निर्वाण भी राजगीर में ही हुआ है। आज भी इन पांचों पहाड़ियों पर जैन धर्म के मंदिर हैं। इसी तरह भगवान महात्मा बुद्घ रत्नागिरि पर्वत के नजदीक गृद्धकूट पहाड़ी पर बैठकर लोगों को उपदेश देते थे।

इतिहास की पुस्तकों के अनुसार, प्राचीन में राजगीर को बसुमति, बारहद्रथपुर, गिरिवगज, कुशाग्रपुर एवं राजगृह के नाम से जाना गया है। राजगीर में ऐतिहासिक, प्राचीन एवं धार्मिक स्थलों का संग्रह है। यहां जहां सप्तकर्णि गुफा, सोन गुफा, मनियार मठ, जरासंध का आखाड़ा, तपोवन, वेणुवन, जापानी मंदिर, सोनभंडार गुफाएं, बिम्बिसार, कारागार, आजातशत्रु का किला है तो रत्नागिरी पहाड़ पर बौद्ध धर्म का शांति स्तूप है। इतिहासकारों के अनुसार, बुद्ध जब यहां धर्म का प्रचार कर रहे थे तब यहां वंश सम्राज्य का शासन था। इस वंश के राजा विम्बिसार मगध के सम्राट थे।

विम्बिसार बुद्घ और बौद्ध धर्म के प्रति काफी श्रद्धा रखते थे। पांचवीं सदी में भारत की यात्रा पर आए चीनी तीर्थ यात्री फाहियान ने अपने यात्रा वृत्तांत में लिखा था कि राजगीर की पहाड़ियों के बाहरी हिस्से में राजगृह नगर का निर्माण विम्बिसार के पुत्र आजातशत्रु ने ही करवाया था। बौद्धधर्म की मान्यताओं के मुताबिक, बुद्ध के निर्वाण के बाद बौद्ध धर्मावलंबियों का पहला महासम्मेलन वैभारगिरि पहाड़ी पर ही हुआ था। इसी सम्मेलन में पालि साहित्य की विशेष ग्रंथ 'त्रिपिटिक' तैयार हुआ था। भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश भी विपुलगिरि पर्वत पर ही दिया था।

राजगीर में प्रति तीन वर्ष पर मलमास मेला लगता है, जिसे देखने के लिए देश और विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचते हैं। बिहार में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि का एक प्रमुख कारण राजगीर को माना जाता है। राजगीर होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष रामकृष्ण प्रसाद सिंह ने आईएएनएस को बताया कि वर्ष 1990 के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में कमी आई थी, परंतु वर्ष 2007 के बाद स्थिति बदली है।

वे कहते हैं कि यहां सालों भर पर्यटकों का आना लगा रहता है। राजगीर में रात गुजारने के लिए सस्ते से लेकर महंगे दर में होटल हैं। देश के अलावे विदेश के भी पर्यटक यहां आते हैं। श्रीलंका, थाईलैंड, कोरिया, जापान, चीन, वर्मा, भूटान आदि देशों के बौद्ध श्रद्घालु तो यहां आते ही हैं, अमेरिका और इंगलैंड के पर्यटक भी यहां आना नहीं भूलते। राजगीर पहुंचने के लिए आपको पटना और बिहारशरीफ से बराबर वाहन मिल जाएंगे। राजगीर घूमने के लिए दो दिन का समय उपयुक्त माना जाता है।

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