नई दिल्ली: भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दहन आधारित तंबाकू उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और तंबाकू से संबंधित बीमारी की वजह से प्रतिवर्ष दस लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. भारी भरकम टैक्स लगाए जाने, कड़ी चेतावनी वाले लेबल लगाए जाने के बाद भी तंबाकू के इस्तेमाल में गिरावट नहीं देखी जा रही है. किशोरावस्था में धूम्रपान अब देश में एक महामारी का रूप ले चुकी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत विश्व के 12 फीसद धूम्रपान करने वालों का घर है, ये संख्या लगभग 12 करोड़ है. भारत में प्रति वर्ष तंबाकू के सेवन की वजह से 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. हैरान देने वाले आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि भारत में 16 वर्ष से कम आयु के 24 प्रतिशत बच्चों ने बीते कुछ समय में तंबाकू का उपयोग किया है और 14 प्रतिशत लोग अभी भी तंबाकू उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं. कई युवा प्रति वर्ष ये आदतें शुरू करते हैं -वास्तव में, सभी वयस्क धूम्रपान करने वालों में से 90 फीसद बच्चे होते हैं.
धूम्रपान और तंबाकू का सेवन प्रत्येक शरीर की प्रणाली को क्षति पहुंचा सकती है और हृदय रोग, स्ट्रोक, वातस्फीति (फेफड़ों के ऊतकों का टूटना), और कई किस्म के कैंसर जैसे - फेफड़े, गले, पेट और मूत्राशय के कैंसर जैसी स्वास्थ्य परेशानियों को जन्म दे सकता है. जो लोग धूम्रपान करते हैं उन्हें ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है. इन घातक बीमारियों के साथ ही, कई अन्य परिणाम हैं जिनके बारे में लोगों को कोई जानकारी ही नहीं है.
कांग्रेस कार्यकर्ता ने राहुल गाँधी को खून से लिखा पत्र, कहा- हमें आपकी जरुरत, ना दें इस्तीफा