कटाक्ष: ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे...
कटाक्ष: ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे...
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शोले फिल्म का यह गाना आज भी लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। जब भी कहीं दोस्ती की बात होती है, तो यही गाना बजाया जाता है। इसे गुनगुनाते हुए दोस्त अपने सफर को याद करते हैं। एक—दूसरे के साथ हमेशा रहने की कसमें खाते हैं। अब जब दोस्ती का दिन करीब आ रहा है, तो हमारे सिद्धू पाजी कैसे पीछे रह जाते। उन्होंने भी दोस्ती के कसीदे गढ़ने शुरू कर दिए। अब बेचारे सीधे—साधे सिद्धू यह भूल गए कि जिसकी दोस्ती की वे कसमें खा रहे हैं, वह उनका दोस्त पहले था, आज वह दुश्मन देश का होने वाला प्रधानमंत्री है। 
अरे लेकिन क्या हुआ, आखिर है तो दोस्त। हमारे एक मित्र बोले कि दोस्ती हो तो जय—वीरू जैसी, वरना न हो। हमने कहा, गलत जय—वीरू थे आज दोस्ती हो तो सिद्धू—इमरान जैसी।  बिल्कुल निश्पाप, निश्पक्ष दोस्ती। एक ने बुलाया और दूसरा दोस्त मिलने को इतना उतावला है कि देश का भी उसे ध्यान नहीं रहा। बस याद रही तो  दोस्ती। कभी बल्ले से जिससे दुश्मनी निभाते थे, मैदान पर दुश्मनी लेकिन ड्रेसिंग रूम में दोस्ती का नजारा था। आज तो सिद्धू पाजी दोस्ती में ऐसे डूबे कि दुश्मनी का ख्याल ही नहीं रहा, सबके सामने दोस्ती का इजहार ही नहीं किया बल्कि दोस्त की तारीफ में कसीदे भी गढ़ डाले। 
इस दोस्ती को देखकर हम तो यही कहेंगे कि सलामत रहे यह दोस्ताना तुम्हारा। भले ही देश पर हमला हो, आतंक बढ़े, कल को दुश्मन देश दोस्त की अगुवाई में हमले करे, लेकिन सिद्धू पाजी यह दोस्ती नहीं तोड़ेंगे.... है न सिद्धू पाजी।

तीखे बोल 

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