नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय सोमवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए बिल्डरों और एजेंट खरीदारों के लिए केंद्र सरकार को माडल समझौता तैयार करने के निर्देश देने की मांग की गई है। इसके साथ ही इसमें रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) एक्ट, 2016 के अनुसार, रियल्टी सेक्टर में पारदर्शिता लाने की मांग भी की गई है।
यह याचिका न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। यह याचिका वकील एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है। इसके माध्यम से सभी राज्यों को माडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट एवं माडल एजेंट बायर एग्रीमेंट लागू करने के निर्देश देने और उपभोक्ताओं को मानसिक, शारीरिक और वित्तीय आघात से बचाने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया गया है। याचिका में कहा गया है कि, 'प्रवर्तक, बिल्डर और एजेंट मुख्य रूप से मनमाना और एकतरफा समझौते का इस्तेमाल करते हैं जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 का उल्लंघन हैं।
वकील अश्विनी कुमार दुबे के मार्फत दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि मकान या फ्लैट का कब्जा मिलने में अत्यधिक देर होने के कारण रियल एस्टेट ग्राहक न केवल मानसिक व वित्तीय आघात का सामना कर रहे हैं, बल्कि जीवन और आजीविका के उनके अधिकारों का भी गंभीर उल्लंघन हुआ है।
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