सरगी का महत्व
सरगी का महत्व
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एक सुहागिन के लिए सभी व्रतों में करवा चौथ का महत्व सबसे अधिक है . क्यूंकि यह निर्जला व्रत पति की लम्बी आयु के लिए किया जाता है. ये पति-पत्नी के आत्मीय रिश्ते और प्रेम का प्रतीक है.

इस व्रत की शुरुआत प्रातःकाल सूर्योदय से पहले ही हो जाती है । सूर्योदय से पहले उठ कर महिलायें सरगी खाती हैं और फिर सूर्योदय के बाद से चाँद निकलने तक वे अन्न और जल ग्रहण नहीं करती हैं . इस व्रत में सरगी का काफी महत्व है .

सरगी सास की तरफ से अपनी बहू को दी जाने वाली आशीर्वाद रूपी अमूल्य भेंट होती है. यह सरगी, सौभाग्य और समृद्धि का रूप मानी गई है । इस में फल, सूखे मेवे, मिठाई, सेंवई, पूड़ी के साथ सुहाग की निशानियाँ होती हैं । सरगी में खाई जाने वाली चीज़ें सास द्वारा ही बनाई जाती हैं ।

सरगी से ही दिनभर के व्रत के लिए लिए ऊर्जा मिलती है इसलिए सरगी में ऐसी चीजें खाएँ जो आसानी से पच सकें .जो ज़्यादा तैलीय या भारी न हो. फल, दूध, दही, पनीर और मल्टी ग्रेन से बने खाद्य पदार्थ और सूखे मेवों को शामिल करें.बहुत ज्यादा मीठा नहीं खाएँ, इससे दोपहर में भूख लगेगी . दो से तीन गिलास गुनगुना पानी ज़रूर पिएँ । इससे  दिनभर प्यास नहीं लगेगी. आशीर्वाद और ऊर्जा  से भरी सरगी सास का बहू को अमुल्य स्नेहिल उपहार है .

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