किस कामना के लिए लगाना है कौन-सा दीपक, जानिए यहाँ
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मंदिर में बिना दीपक जलाये कोई पूजा नहीं होती लेकिन दीपक कई प्रकार के होते हैं, जैसे चांदी के दीपक, मिट्टी के दीपक, लोहे के दीपक, ताम्बे के दीपक, पीतल की धातु से बने हुए दीपक, कांसे का दीपक तथा आटे से बनाए हुए दीपक आदि। अब आज हम आपको बताते हैं कौन-सा दीप किस कामना के लिए जलाया जाता है।

आटे का दीपक : किसी भी प्रकार की साधना, मनोकामना, सिद्धि के लिए या संकट एवं कर्ज से मुक्ति हेतु आटे का दीपक बनाते हैं और इसे विशेष स्थान पर रखते हैं या नदी में प्रवाहित करते हैं।

मिट्टी के दीपक : इस दीपक को जलाने से शुक्र और शनि संबंधी समस्या का निदान होता है।

स्वर्ण का दीपक : सूर्य और बृहस्पति की धातु स्वर्ण है और इस दीपक में गाय का शुद्ध घी डालकर रूई की बत्ती लगाकर इसे गेहूं के आसन पर पूर्वमुखी रखें। उसके बाद इसके चारों ओर गुलाब की पंखुड़ियां भी बिखेर दें। इससे जीवन में हर तरह की प्रगति के साथ ही बुद्धि का विकास होगा।

रजत का दीपक : रजत यानी चांदी का दीपक और यह चंद्र और शुक्र की धातु है। ध्यान रहे चावल की ढेरी पर चांदी के दीपक को रखकर इसके आसपास सफेद पुष्प बिखेर दें और इस दीपक में भी देशी गाय का शुद्ध घी डालकर प्रज्वलित करें। इससे घर में शांति, शुद्धता और सात्विकता के साथ ही धन की वृद्धि होगी।

 ताम्र का दीपक : ताम्र यानी तांबे का दीपक। यह सूर्य और मंगल का दीपक होता है। इस दीपक को लाल मसूर की दाल का आसन देकर उसके चारों ओर लाल रंग के फूलों की पंखुड़ियां बिखेर देने के बाद इसमें तिल का तेल डालकर इसे प्रज्वलित करें। इसे दक्षिण दिशा में स्थापित करें। इससे सभी तरह के अनिष्ट का नाश होता है और व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है।

कांसे का दीपक : इस धातु से बने दीपक को चने की दाल का आसन दें और इसके चारों तरफ पीले फूलों की पंखुड़ियां बिखेर दें। उसके बाद इसमें तिल का तेल डालकर इसे रूई की बत्ती से प्रज्वलित करें और इसे उत्तर दिशा में स्थापित करें। इससे बरकत बरकरार रहेगी, धन समृद्धि बनी रहेगी और कभी भी किसी चीज की कमी नहीं आएगी।

लोहे या स्टील का दीपक : धातु से बने दीपक को पश्‍चिम दिशा में उड़द की दाल पर स्थापित करें और काले या नीले रंग के फूलों की पंखुड़ियां बिखेर दें। इसमें सरसों का तेल डालकर प्रज्वलित करें। ऐसा करने से सभी तरह के अनिष्ट, घटना तथा दुर्घटनाओं से बचाव होता।

पीतल का दीपक : पीतल के दीपक को चने की दाल पर विराजमान करके इसके चारों ओर पीले फूलों की पंखुड़ियां बिखरकर इसे उत्तर दिशा में स्थापित करना चाहिए। इससे भाग्य में वृद्धि होती है। दांपत्य जीवन का सुख मिलता है।

अष्टधातु दीपक : अष्टधातु से बना पंचमुखी दीप से जीवन के सभी तरह के कष्ट मिट जाते हैं। धन और समृद्धि बनी रहती है। कर्ज से मुक्ति मिल जाती है।

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