लेटलतीफी से विवादों में घिरीं इमरती देवी, सस्पेंड अधिकारी बहाल
लेटलतीफी से विवादों में घिरीं इमरती देवी, सस्पेंड अधिकारी बहाल
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भोपाल: अपने बयानों के चलते चर्चाओं में रहने वाली पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी इस बार अपनी लेटलतीफी को लेकर विवादों में पड़ गईं हैं। जी दरअसल उनके देरी करने के चलते पोषण आहार में गड़बड़ी करने वाले दो अधिकारी बहाल हो गए, क्योंकि विभाग तय समयसीमा के अंदर उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाया। इस बारे में इमरती देवी का कहना है कि फाइल उनके पास नहीं थी और इसके लिए विभाग के अधिकारी जिम्मेदार हैं।

क्या है मामला - जी दरअसल लॉकडाउन के दौरान सरकार ने एक निर्देश जारी किया था। उसमे कहा गया था कि आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री माताओं व किशोरी बालिकाओं को कोरोना के दौरान कुपोषण से बचाने के लिए रेडी-टू-ईट पोषण आहार दिया जाना चाहिए। इसके अलावा यह भी कहा गया था कि बच्चों को एक किलो 200 ग्राम तथा गर्भवती-धात्री माताओं को डेढ़ किलो पोषण आहार दिया जाए। बाफ में जब जांच हुई तो पता चला कि खंडवा जिले के बलड़ी-किल्लोद, हरसूद एवं खालवा में केवल 200 से 300 ग्राम ही पोषण आहार दिया गया। वहीं अधिकारियों ने इसका डाटा भी नहीं रखा। ऐसा होने पर इसमें फर्जीवाड़े की आशंका जताई गई। इसी के कारण अंशुबाला मसीह और हिमानी राठौर को निलंबित कर दिया गया।

वहीं अगर इमरती देवी के बारे में बात करें तो साफ़-साफ़ लेटलतीफी के आरोपों से अपना पल्ला झाड़ रहीं हैं। उनका कहना है कि फाइल उनके पास नहीं थी, शायद मुख्यमंत्री के यहां रुकी होगी। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा विभाग के अधिकारी इस बारे में बता सकते हैं। अब बात करें विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह की तो उनका कहना है कि अनुमोदन के लिए फाइल मंत्री को भेजी गई थी।

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