जल है तो कल है...इसे न करो व्यर्थ
जल है तो कल है...इसे न करो व्यर्थ
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जल के महत्व पर केंद्रित दिन। वह दिन जब जल को सहेजने की बात कही जाती है। विश्व में हर कहीं जल संपदा के महत्व की बात होती है। दरअसल यह दिन 22 मार्च को मनाया जाता है। विश्व में जल का संकट कोने - कोने में महसूस किया जाता है। प्रत्येक क्षेत्र में विकास हो रहा है। विश्व औद्योगिकरण की राह पर चलने लगा है। दरअसल जल जनित रोग महामारी का रूप लेने लगे हैं। कई बार कहा भी जाता है कि अगला विश्व युद्ध होगा तो वह पानी पर ही होगा। आखिर जल की हमारे जीवन में इतनी अहमियत है।

दरअसल व्यक्ति जल के महत्व को ही भूल गया। जिसके कारण सभी के सामने जल संकट की स्थिति निर्मिंत हो गई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1992 में ही संयुक्त राष्ट्र ने अपने अधिवेशन में विश्व जल दिवस मनाने का प्रारंभ किया था। दरअसल कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोग पीने के पानी को शुद्ध तरीके से प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उन्हें अशुद्ध पानी से ही काम चलाना पड़ता है और उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी यह कहती है कि करीब 1.5 अरब लोगों को पीने योग्य जल नहीं मिल पा रहा है। कई ऐसे देश हैं जिनमें बारिश के मौसम में भीषण बाढ़ आती है मगर गर्मी के मौसम में पानी बहुत की कम बच पाता है। जिसके कारण लोग मुश्किल में होते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकांश पानी बहकर ही निकल जाता है। ऐसे में भू-जल स्तर बेहद कम हो जाता है। 

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